उपचार के अभाव में मरीज की मौत, डॉक्टरों ने जताया विरोध

उपचार के अभाव में मरीज की मौत, डॉक्टरों ने जताया विरोध

ग्वालियर। वादखिलाफी आंदोलन शुरू होने से पहले प्रशासन ने मरीजों के उपचार संबंधी तमाम दावे किए थे, लेकिन जैसे ही चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के 500 डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं बंद कीं, सभी दावों की पोल खुल गई। सुबह से न केवल मरीज उपचार के लिए परेशान होते रहे, बल्कि उपचार के अभाव में एक मरीज की मौत भी हो गई। मृतकों के परिजन उपचार न मिलने के अभाव में मौत होने की बात कहते हुए रोते बिलखते हुए नजर आए। पिछले कई दिनों से हजार बिस्तर अस्पताल में किला गेट निवासी अमर सिंह बाथम नाम का मरीज सांस की समस्या को लेकर भर्ती था, परिजनों के मुताबिक उसकी हालत में सुधार था, लेकिन हड़ताल की वजह से मरीज को उपचार नहीं मिला और उसकी जान चली गई।

डॉक्टरों को बुधवार की सुबह से इमरजेंसी सेवाएं बंद करनी थीं, लेकिन अधिकतर ने मंगलवार की रात से सेवाएं देना बंद कर दी थीं, इसी का खामियाजा इस मरीज को भुगतना पड़ा। हड़ताल के दौरान दिन भर ऐसे कई मामले देखने को मिले जिसमें डॉक्टरों की इस हड़ताल की वजह से मरीज परेशान होते हुए एवं इस हड़ताल को कोसते नजर आए। हालांकि प्रबंधन ने आयुष विभाग के डॉक्टरों के साथ ही अस्पताल के एसआर-जेआर की ड्यूटी लगाई थी, लेकिन इस सब के बाद भी व्यवस्थाएं संभल नहीं पाईं।

सुबह मीटिंग दोपहर में होंगे इस्तीफे: एमटीए के अध्यक्ष डॉक्टर अखिलेश त्रिवेदी ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टरों ने देर रात हड़ताल कॉल ऑफ कर ली। इसके बाद गुरुवार की सुबह एमटीए के पदाधिकारियों की मीटिंग के बाद डीन को सामूहिक इस्तीफा दिया जाएगा।

मरीजों के नहीं हुए ऑपरेशन 

हड़ताल की वजह से अस्पताल प्रबंधन भी बेबस नजर आ रहा है, सीनियर चिकित्सकों द्वारा इमरजेंसी सेवाएं बंद करने की वजह से अस्पतालों में होने वाले रूटीन के साथ इमरजेंसी ऑपरेशन भी आगे टालते हुए मरीजों की अस्पताल से छुट्टी कर दी। अस्पताल में हर रोज करीब 30 माइनर ओटी होती हैं, जो कि नहीं हो पाईं।

वार्ड होने लगे खाली, जबरन की छुट्टी

एक मई से चिकित्सक महासंघ की हड़ताल का व्यापक असर बुधवार की सुबह से दिखा, अस्पताल में भर्ती कई मरीजों की डॉक्टरों ने छुट्टी कर दी, जिसकी वजह से हजार बिस्तर अस्पताल में बने कई वार्ड खाली होने लगे। जिन मरीजों की छुट्टी हुई उनमें से कई ने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर अपना दर्द बयां किया।

कैजुअल्टी पर खड़ी रहीं 108 एंबुलेंस

इस हड़ताल को लेकर प्रशासन के निर्देश पर आकस्मिक सेवाओं में शुमार 108 एंबुलेंसों को अस्पताल के बाहर खड़ा करा दिया गया है, जिससे मरीज परेशान न हों। जेएएच के माधव डिस्पेंसरी में बनी कैजुअल्टी के बाहर चार 108 एंबुलेंस के साथ ही दो एंबुलेंस जिला अस्पताल मुरार के बाहर खड़ी कराई गईं हैं, जिनसे कुछ मरीजों को शिफ्ट किया गया।

प्राइवेट अस्पताल में मरीज को देखने पहुंचे कलेक्टर

प्रशासनिक अधिकारियों ने इस हड़ताल के दौरान मरीज परेशान न हों इसके लिए सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करने की व्यवस्था की गई है, जिसका भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा। जेएएच से परिवार हॉस्पिटल में रैफर किए गए मरीज को देखने के लिए कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह पहुंचे और उन्होंने मरीज का हालचाल जाना। इस मौके पर जीआरएमसी के न्यूरोसर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. अविनाश शर्मा के साथ ही जीआरएमसी के डीन व जेएएच के अधीक्षक भी मौके पर मौजूद रहे।

संविदा कर्मी आशा-ऊषा की भूख हड़ताल जारी

चिकित्सकों के साथ ही संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल की वजह से जिले की स्वास्थ्य सेवाएं खराब हो चुकी हैं, मरीज हर जगह परेशान हो रहे हैं ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने आंदोलन करने वाली 24 आशा- ऊषा कार्यकर्ताओं को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। मजे की बात देखिए बर्खास्त कर्मचारियों को जो ऑर्डर प्राप्त हो रहा है उस पर 26 अप्रैल की डेट है, लेकिन इन्हें तीन मई हो सूचना दी गई है। कर्मचारियों का कहना है उनके आठ साथियों पर एफआईआर की कार्रवाई समाप्त किए जाने की मांग को लेकर वह भूख हड़ताल कर रहे हैं। बर्खास्तगी व एफआईआर की कार्रवाई खत्म करने को लेकर आशा-ऊषा गुरुवार को कलेक्टर एवं सीएमएचओ से मुलाकात करने जाएंगे, अगर यह कार्रवाई खत्म नहीं हुई तो सभी 24 कर्मचारी आमरण अनशन करेंगे।

डीन-अधीक्षक लेते रहे राउंड

इमरजेंसी सेवाएं बंद होने के कारण मरीज परेशान न हों इसके लिए जीआरएमसी डीन डॉ. अक्षय निगम, जेएएच समूह के अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ सुबह से ही अस्पतालों में राउंड पर निकले। सुबह दस बजे कैजुअल्टी पहुंचे इसके साथ ही हजार बिस्तर अस्पताल से लेकर विभिन्न जगह पहुंचे और उन्होंने व्यवस्थाएं बेहतर रहने के निर्देश दिए, लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ा व्यवस्थाएं और खराब होती चली गईं। हालांकि जो डॉक्टर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं उनके बीच यह चर्चा चलती रही कि डीन और अधीक्षक उनके साथ धरना प्रदर्शन में शामिल क्यों नहीं हुए।

कैजुअल्टी में आयुष डॉक्टर ने अपनी पैथी में लिखा उपचार

एलोपैथी के चिकित्सकों की हड़ताल के दौरान मरीजों को उपचार देने के लिए 30 आयुष चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई। जेएएच के कैजुअल्टी में भितरवार एवं चीनौर से आए आयुष डॉक्टर बैठे हुए नजर आए, लेकिन यहां पर इमरजेंसी में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को इन्होंने उपचार तो लिखा पर यह उपचार आयुर्वेदिक पद्धति का था, साथ ही स्थल पर आयुर्वेदिक दवाइयां भी मौजूद नहीं थीं, जिसकी वजह से इमरजेंसी में आने वाले कई मरीज प्राइवेट अस्पतालों में चले गए।

केवल 6 मरीज पहुंचे प्राइवेट अस्पताल में

इस हड़ताल की वजह से उपचार के लिए मरीज परेशान न हों इसके लिए प्रशासन ने प्राइवेट अस्पतालों में 300 बेड की व्यवस्था के साथ ही हर संभव उपचार देने के निर्देश दिए थे। भर्ती मरीजों को यह समझ ही नहीं आ रहा था कि वह कहां जाएं या फिर कैसे प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचें। इसी की वजह से डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान बुधवार को केवल 6 मरीज ही निजी अस्पतालों में एंबुलेंस से शिफ्ट हुए। जानकारी के मुताबिक चार मरीज जिला अस्पताल मुरार से तो एक मरीज जेएएच के परिवार हॉस्पिटल में शिफ्ट हुआ।

चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से कोई मरीज परेशान न हो इसके लिए मैंने स्वयं सुबह से ही अस्पतालों का राउंड लिया। इसके साथ ही हमें आयुष विभाग से 34 डॉक्टरों के साथ ही हमने 150 पीजी स्टूडेंट एवं 50 एसआर की ड्यूटी अस्पतालों में लगाई है। हमारा प्रयास है कि सभी मरीजों को उपचार मिले। डॉ. अक्षय निगम,डीन जीआरएमसी