रिलायंस कैपिटल के बिकने का रास्ता साफ, हिंदुजा ग्रुप के रिजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी
आरबीआई की कार्रवाई, अनिल अंबानी की कंपनी पर है भारी कर्ज
नई दिल्ली। भारी कर्ज में डूबे अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल की बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। आरबीआई ने रिलायंस कैपिटल के लिए हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (ककऌछ) के रिजॉल्यूशन प्लान को भी मंजूरी दे दी है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने हिंदुजा ग्रुप के पांच प्रतिनिधियों को रिलायंस कैपिटल के बोर्ड में बतौर डायरेक्टर शामिल करने की योजना पर अपनी मुहर लगा दी है। हिंदुजा ग्रुप ने अप्रैल में दूसरे दौर की नीलामी में रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9,650 करोड़ की सबसे बड़ी बोली लगाई थी। हिंदुजा के आॅफर और रिलायंस के कैश बेलेंस को देखते हुए करीब 10,000 करोड़ की रिकवरी होने की उम्मीद है। यानी कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों को भारी चपत लगना तय है।
दिए कर्ज की केवल 43% रकम बैंको को वापस मिलेगी
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और इस कारण एनसीएलटी ने आईआईएचएल के रिजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट में अगले हμते सुनवाई होनी है। लेकिन रिलायंस कैपिटल को कर्ज देने वाले बैंकों को भारी चपत लगना तय है। उन्हें अपने कर्ज का केवल 43 फीसदी ही मिल सकता है। हिंदूजा ग्रुप ने कंपनी के लिए 9,650 करोड़ की बोली लगाई है। साथ ही कंपनी के पास करीब 400 करोड़ का कैश बैलेंस है।
एलआईसी और ईपीएफओ को अधिक चपत लगेगी
सितंबर, 2021 में रिलायंस कैपिटल ने अपने शेयरहोल्डर्स को बताया था कि कंपनी पर 40,000 करोड़ रुपए से अधिक कर्ज है। रिलायंस कैपिटल पर एलआईसी का करीब 3,400 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसी तरह ईपीएफओ ने रिलायंस कैपिटल के बॉन्ड प्रोग्राम में 2,500 करोड़ रुपए निवेश किए थे। इस तरह एलआईसी को करीब 1,460 करोड़ रुपए और करीब 1,075 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।
कभी देश के तीसरे सबसे बड़े रईस थे अनिल अंबानी, अब नेटवर्थ जीरो
फोर्ब्स इडिया की 2007 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अनिल अंबानी की नेटवर्थ 45 बिलियन अरब डॉलर थी और वह देश के तीसरे सबसे बड़े रईस थे। 2007-08 में उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने पत्नी नीता को 250 करोड़ का कॉर्पोरेट जेट गिμट किया तो अनिल ने पत्नी टीना को 400 करोड़ रुपए की सुपर लक्जरी याट खरीदकर दी, लेकिन किस्मत ने ऐसा पलटा खाया कि आज अनिल अंबानी की नेटवर्थ जीरो है।
दूसरे दौर में हिंदुजा ग्रुप की सबसे बड़ी बोली
आरबीआई ने रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसोडिंग शुरू की। केंद्रीय बैंक ने नागेश्वर राव वाई को एडमिनिस्ट्रेटर बनाया था। पहले राउंड में टॉरेंट इनवेस्टमेंट्स ने रिलायंस कैपिटल के लिए 8,640 करोड़ रुपए की सबसे बड़ी बोली लगाई थी। दूसरे दौर में हिंदुजा ग्रुप ने सबसे बड़ी बोली लगाई थी।