यात्रियों को गंतव्य के मुहाने पर पहुंचकर आउटर पर ट्रेन का खड़ा होना अखर रहा

यात्रियों को गंतव्य के मुहाने पर पहुंचकर आउटर पर ट्रेन का खड़ा होना अखर रहा

जबलपुर। लंबी ट्रेन यात्रा पूरी करने के बाद जब जबलपुर के यात्री ट्रेन के उबाऊ सफर से मुक्त होकर घर जाने की सोचते हैं तो ऐसे में आउटर पर ट्रेन को 20 मिनट तक रोकने से उनका सब्र छलक जाता है। यहां गौरतलब है कि इस परेशानी से बचने के लिए जबलपुर रेल मंडल ने 5 साल पहले 10 करोड़ रुपए खर्च कर सिगनलिंग व्यवस्था को दुरुस्त किया था,यह कवायद भी काम नहीं आ पा रही है,जबकि इस पूरे प्रोजेक्ट का उद्देश्य ही आ उटर पर ट्रेनों का खड़ा होना बंद करना था। अब जबकि प्लेटफॉर्म की संख्या भी बढ़ चुकी है और रेल लाइनों में भी इजाफा हो चुका है तो आउटर पर ट्रेनों का खड़ा किया जाना यात्रियों की समझ से बाहर हो रहा है।

इस मामले में रेलवे का कहना है कि ट्रेन को प्लेटफॉर्म पर लेने के लिए लाइन चेंज करने में कुछ समय लगता है यही समय ट्रेन को आउटर पर खड़ा करना पड़ता है। चाहे आप इटारसी की ओर से आ रहे हों या कटनी की ओर से दोनों तरफ ज्यादातर ट्रेनों को आउटर पर खड़े होना ही पड़ता है। इसमें लंबी दूरी के यात्री तो जैसे तैसे एडजस्ट कर ही लेते हैं मगर जिन यात्रियों को जबलपुर स्टेशन पर उतरना है वे खीज जाते हैं।

अवैध वेंडरों की भरमार

जैसे ही ट्रेन आउटर पर खड़ी होती है अवैध वेंडर इसमें सवार हो जाते हैं और प्रतिबंधित गुटखा,तंबाकू उत्पाद,सिगरेट से लेकर खान-पान की चीजें बेचने लगते हैं। ये ट्रेन के चलते ही उतर जाते हैं या स्टेशन आते ही पहले ही कूद जाते हैं जिससे ये आरपीएफ की पकड़ से दूर हो जाते हैं। ऐसा नहीं कि इनसे आरपीएफ अनभिज्ञ हो मगर इन पर कार्रवाई नहीं होती।

असामाजिक तत्व भी एक्टिव

आउटर पर असामाजिक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं,कई वारदातें ऐसी हो चुकी है  जबकि यात्रियों के बैग,कीमती सामान लुटेरे कोच में चढ़कर लूट ले जाते हैं या सोते समय चुरा लेते हैं। नींद खुलने पर जब यात्री को सामान गुम होने का पता चलता है तो जबलपुर काफी दूर हो चुका होता है और वे यह भी नहीं समझ पाते कि उनका सामान कब गायब हुआ है।

10 ट्रेनों की होती है आवाजाही

जबलपुर स्टेशन से प्रतिदिन110 ट्रेनें आती-जाती हैं। बताया जाता है कि एक रूट की पांतों से दूसरे रूट की पांतों पर ट्रेन को डायवर्ट करने के कारण ही कुछ ट्रेनों को आउटर पर रोका जाता है। आउटर पर ट्रेन न रुकें इसके लिए जिम्मेदारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

बदबू भर जाती है

आउटर पर ट्रेन के रुकते ही बोगी में यहां की बदबू भर जाती है जिसके चलते यात्रियों को मुंह पर कपड़ा रखना होता है। दोनों तरफ के ट्रैक पर गंदगी बनी रहती है। यहां का आसपास का माहौल भी गंदगी से भरा होता है जिसके चलते यात्रियों को यहां पर ट्रेन का रुकना किसी सजा की तरह लगता है।

ट्रैक चेंज करने के लिए कुछ ट्रेनों को आउटर पर रुकना होता है,पहले ये समस्या काफी अधिक थी जिसके बाद रेलवे मंडल ने सिगनलिंग का कार्य करवाया,अब कुछ ही ट्रेन रोकी जाती हैं। विश्वरंजन,सीनियर डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल।