5 दिन में सिर्फ पौने 4 घंटे चली संसद
नई दिल्ली। उद्योगपति गौतम अडाणी और राहुल गांधी के भाषण पर जारी गतिरोध की वजह के शुक्रवार को पांचवें दिन भी संसद नहीं चल सकी। लोकसभा और राज्यसभा दोनों अब सोमवार यानी 20 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है। बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च को शुरू हुआ था। पिछले 5 दिन में भारी हंगामे के कारण लोकसभा की बैठक जहां मात्र 66 मिनट चली, वहीं राज्यसभा कुल 159 मिनट ही चल पाई। इस प्रकार सदन सिर्फ पौने 4 घंटे ही चला। बता दें, संसद के इस चरण में 35 बिल पेंडिंग हैं। इसबीच कांग्रेस का कहना कि मोदी सरकार सदन नहीं चलने दे रही है और अडाणी मामले से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। बीजेपी सदन में राहुल गांधी से माफी मांगने पर जोर दे रही है।
आज कार्यवाही ही म्यूट कर दी
लोस की कार्यवाही के टीवी प्रसारण का ऑडियो शुक्रवार को करीब 20 मिनट के लिए म्यूट किया गय। कांग्रेस ने ट्वीट किया है- नारे लगे- राहुल जी को बोलने दो, बोलने दो...फिर स्पीकर मुस्कुराए और सदन म्यूट हो गया। ये लोकतंत्र है?
समय से पहले ही समाप्त हो सकता है सत्र
बजट सत्र का दूसरा चरण 6 अप्रैल तक चलेगा। माना जा रहा है कि इस सत्र को भी समय से पहले समाप्त किया जा सकता है। बजट सत्र के इस चरण में 35 बिल पेंडिंग है, जिसे सरकार पास कराने की बात कह चुकी है। 26 बिल राज्यसभा में और 9 बिल लोकसभा में पेंडिंग है। इसबीच शुक्रवार को कार्यवाही स्थगित करने से पहले स्पीकर ओम बिरला ने सभी सदस्यों से सदन चलने देने की अपील कर हुए कहा, सदन आप सभी चलने दीजिए, जैसे ही सदन की कार्यवाही गति पकड़ेगी, हम सभी को बोलने का मौका देंगे।
संसद में 1 घंटे का खर्च होता है 1.50 करोड़ रुपए
संसद की कार्यवाही आम तौर हμते में 5 दिनों तक चलती है। प्रत्येक दिन संसद की कार्यवाही 7 घंटे तक चलाने की परंपरा है। 2018 में संसद की कार्यवाही के खर्च को लेकर एक रिपोर्ट आई थी। हालांकि, अब इस रिपोर्ट के 5 साल हो चुके हैं और 2018 की तुलना में महंगाई में भी बढ़ोतरी हुई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक संसद में एक घंटे का खर्च 1.5 करोड़ रुपए है। दिन के हिसाब से जोड़ा जाए तो यह खर्च बढ़कर 10 करोड़ रुपए से अधिक हो जाता है। संसद में एक मिनट की कार्यवाही का खर्च 2.5 लाख रुपए है। संसद की कार्यवाही के दौरान सबसे अधिक खर्च सांसदों के वेतन, सत्र के दौरान सांसदों को मिलने वाली सुविधाएं और भत्ते, सचिवालय के कर्मचारियों की सैलरी और संसद सचिवालय पर किए जाते हैं।
2008 में भी बने थे ऐसे हालात
वर्ष 2008 के बाद यह पहली बार है, जब सत्ताधारी दलों के हंगामे की वजह से संसद की कार्यवाही को स्थगित करनी पड़ रही है। 2008 में अमेरिका से परमाणु समझौते को लेकर सत्ता में शामिल लेμट पार्टियों ने जमकर हंगामा किया था। बाद में सरकार को सदन में विश्वासमत हासिल करना पड़ा था। सपा ने उस वक्त बाहर से समर्थन देकर मनमोहन सरकार बचाई थी।