कोरोनाकाल में बिगड़े बच्चों की पैरेंट्स करवा रहे जासूसी
भोपाल। भोपाल के एक अभिभावक अपने 13 साल के बेटे की जासूसी कराने प्राइवेट डिटेक्टिव के पास पहुंचे। बच्चा कोविड के बाद स्कूल खुलने पर चिड़चिड़ा और उदास रहने लगा था। वह बीच-बीच में स्कूल से भी गायब हो जाता था। इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि बच्चे को मोबाइल और आनलाइन गैंबलिंग की लत थी। स्कूल में मोबाइल चलाना संभव नहीं था। वह स्कूल से बंक मारकर घंटों किसी जगह बैठकर गेम खेलता रहता। यह अकेला मामला नहीं है। भोपाल सहित मप्र के कई अभिभावक अपने बच्चों के बदलते व्यवहार से परेशान होकर पैरेंटल इन्वेस्टिगेशन का सहारा ले रहे हैं। अभिभावक जानना चाहते हैं कि उनके बच्चे किस गलत संगत का शिकार हैं।
केस-1: हैटफील्ड इन्वेस्टिगेशन एंड कंसल्टिंग के एमडी अजित सिंह ने बताया कि इंदौर के एक अभिभावक का 17 वर्षीय बेटा कोचिंग से बंक मारने के साथ ही कई बार रात को भी गायब रहता था। पूछने पर एग्रेसिव होकर मरने की धमकी देता था। इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि वह दोस्तों के साथ हुक्का लाउंज और पब में चला जाता था। ड्रग्स लेने की शुरुआत कर चुका था।
केस-2: जबलपुर के अभिभावकों ने बेटी की जासूसी का जिम्मा एक एजेंसी को सौंपा। इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि 16 वर्षीय बेटी को उसका सोशल मीडिया फ्रेंड निजी चैट के कारण ब्लैकमेल कर रहा था। वह घर से पैसे चुराती थी। मामले में केस दर्ज कराया गया।
इस तरह बदला ट्रेंड
मालवीय नगर स्थित डिटेक्टिव ग्रुप प्रालि. के पुष्पेन्द्र पुष्प के अनुसार, सबसे अधिक केसेज पति-पत्नी के अफेयर संबंधी ही आते हैं। लेकिन, बीते पांच सालों में इनका प्रतिशत कम हुआ है। वहीं, माता-पिता द्वारा टीनएजर और कॉलेज गोइंग बच्चों के इन्वेस्टिगेशन के मामले बढ़े हैं। उनके पास बच्चों पर नजर रखने का समय नहीं होता। सवाल पूछने पर बच्चे एग्रेसिव होकर घर छोड़ने या मरने की धमकी देते हैं।
इन बातों की जासूसी
♦ बच्चों का अफेयर तो नहीं।
♦ नशे की लत तो नहीं।
♦ अवसाद या चिड़चिड़ेपन का कारण क्या है।
♦ उनके दोस्त-यार किस तरह के हैं।
♦ लड़कों को गैंबलिंग या लड़कियों को वेस्टर्न पार्टीज का शौक तो नहीं।
♦ पढ़ाई के लिए दूसरे शहरों में रह रहे बच्चों की जासूसी।