विदेश में रहने वाले अभिभावक कहते हैं, हमारे बच्चों को बस शुद्ध हिंदी सिखा दीजिए
हिंदी दिवस आज : विदेश में काम कर चुके भोपाल के लेखकों का कहना- वहां हिंदी की कद्र भारत से ज्यादा
हिंदी बोलना गर्व की बात होना चाहिए यह हम हमेशा से सुनते आए हैं। लेकिन जब बौद्धिक वर्ग में चर्चा के लिए बैठते हैं, तो अंग्रेजी में खुद को प्रस्तुत करना चाहते हैं, लेकिन शुद्ध हिंदी को सुंदर लहजे में बोलना अपनी भाषा के प्रति सच्चा सम्मान दर्शाता है। शायद यही वजह है कि विदेश में बसे भारतीय हिंदी लिखने-बोलने व पढ़ने के लिए ज्यादा सहज नजर आते हैं। हिंदी दिवस पर भोपाल के ऐसे लेखकों व निर्देशकों से बात की जिन्होंने विदेश में रहकर सालों हिंदी पढ़ाई और जाना कि विदेश में रहने वाले भारतीय माता िपता अपने बच्चों को हिंदी सिखाने के लिए कितने जागरूक हैं, तो वहीं किसी ने इस साल फिजी में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में जाकर जाना कि विदेश में गर्व के साथ हिंदी बोली जा रही है।
मॉरिशस में शुद्ध हिंदी सिखाने की मांग
हमने हाल में आजादी के 75 साल और 75 रचनाकार शीर्षक से संग्रह प्रकाशित किया, जिसमें फिलीपींस, आॅस्ट्रेलिया, मॉरिशस, अबू धाबी, नीदरलैंड, कनाडा, यूके, यूएस में रह रहे हिंदी रचनाकारों ने लेखन किया। यह कहना है, साहित्यकार अनुपमा श्रीवास्तव अनुश्री का। वे कहती हैं, हम अपनी अंतर्राष्ट्रीय संस्था आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन के माध्यम से पूरे साल सक्रिय रहते हैं। मॉरिशस में माता-पिता मेरे पास आकर कहते थे, कि मैडम, कृपया हमारे बच्चों को शुद्ध हिंदी बोलना-लिखना सिखाइएगा, तो यह सुनकर लगता था कि भारत के बाहर बसे भारतीय हिंदी के प्रति कितने समर्पित हैं। मैंने दो दिन पहले ही भोपाल के स्कूल में हिंदी और हम विषय पर गद्य और पद्य लेखन प्रतियोगिता रखी, जिसमें बच्चों ने उत्साह से भाग लिया लेकिन लेखन में वचन, वर्तनी, अनुस्वार, अनुनासिक की अशुद्धियां देखीं गईं।
फिजी नागरिक हिंदी में बात करते मिले
इस साल फिजी में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लेने के दौरान मुझे पता चला कि फिजी में रहने वाले हिंदी में बात करते हैं और हिंदी वे बहुत सामान्य रूप से यहां तक की भोजपुरी शैली तक में आपस में बोलते हैं। यह कहना है, अखिल भारतीय साहित्य परिषद की राष्ट्रीय मंत्री डॉ. साधना बलवटे का। वे कहती हैं, मैंने एक फिजी नागरिक से पता पूछा तो उसने कहा, इते मुड़कर आगे जाइयो...ये सुनकर मैं हैरान थी। हम युवा रचनाकारों को मौका देने के लिए नई कलम शृंखला चलाते हैं, ताकि वे बेहिचक आकर अपनी रचनाएं पढ़ें। गैस व पेट्रोलियम मंत्रालय ने बतौर हिंदी सलाहकार हिंदी को बढ़ावा देने के सुझाव मांगे थे, जिसमें मैंने गैस सिलेंडर का बिल हिंदी में भी देने की बात कही, जिसे लेकर वे विचार- विमर्श कर रहे हैं।
दुबई में हिंदी शिक्षकों को दिया प्रशिक्षण
भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित नदी मैं तुम्हें रुकने नहीं दूंगा पुस्तक के लेखक व फिल्म लेखक व निर्देशक डॉ. सुधीर आजाद ने दुबई में 8 साल न सिर्फ हिंदी विषय पढ़ाया, बल्कि हिंदी विषय को पढ़ाने के लिए टीचर्स को भी ट्रेनिंग दी। डॉ. सुधीर कहते हैं, हिंदी का सम्मान पूरी दुनिया में हैं और दुबई में आईसीएसई बोर्ड से संबंद्ध स्कूलों में हिंदी भारत की तरह हायर सेकंडरी तक पढ़ाई जाती है और वहां कई दशकों व पीढ़ियों से बसे भारतीय हिंदी को बहुत अच्छी तरह से लिखना व पढ़ना चाहते हैं। इसके लिए वे हिंदी से संबंधित हर गतिविधि को प्रोत्साहित करते हैं। यहां तक कि वे स्कूल शिक्षकों से इस बारे में बात करते हैं, कि उनके बच्चों की हिंदी शुद्ध हो, इसका प्रयास जारी रखें। अब हिंदी किताबों का अंग्रेजी व अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो रहा है।