हीट वेव से ‘ डेंजर जोन’ में भारत का 90% से अधिक हिस्सा
लंदन। देश इस समय चिलचिलाती गर्मी से जूझ रहा है। 48 से अधिक मौसम केंद्रों ने दो दिन पहले 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान दर्ज किया था। इसबीच ब्रिटेन स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में दावा किया है कि भारत का 90 फीसदी से अधिक हिस्सा हीट वेव के प्रभावों के चलते 'डेंजर जोन' में है, जबकि दिल्ली अधिक संवेदनशील है। स्टडी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के चलते भारत में हीट वेव का असर गंभीर होता जा रहा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि तापमान का पुनर्मूल्यांकन कर उचित नीतियां बनाने की जरूरत है। बता दें ये स्टडी यूके स्थित कैंब्रिज विश्वविद्यालय में रमित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा की गई है। उल्लेखनीय है कि 'लू' ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को पहले की तुलना में ज्यादा बाधित किया है।
देश के विकास में बाधा
रिपोर्ट के अनुसार हीट वेव न केवल लोगों की उत्पादकता और स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी, बल्कि देश के विकास में भी बाधा उत्पन्न करेगी। अध्ययन में दावा किया गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हीट वेव से खतरा पहले की अपेक्षा और बढ़ेगा।
खतरे में हैं 80% लोग
शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में आगाह किया है कि यदि भारत में हीट वेव के प्रभाव को तुरंत दूर नहीं किया गया तो भारत सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में अपनी प्रगति को धीमा कर सकता है, क्योंकि भारत में गर्मी चरम पर है और इससे देश के 80 फीसदी लोग खतरे में हैं।
पैकेज देने से समाधान नहीं
अपनी स्टडी पर रमित देबनाथ का कहना है कि भारत पहले ही गर्मी कम करने के मामले में काफी कुछ कर चुका है और अब वास्तव में भारत में गर्मी के नाम पर आपदा पैकेज जारी किया जाता है, लेकिन इससे फायदा नहीं होगा और भारत को दूरदर्शी प्लान बनाने की जरूरत है।
1992 के बाद हीटवेव से 24 हजार लोगों की मौत
रिपोर्ट के अनुसार 1992 के बाद से अत्यधिक गर्मी की वजह से 24,000 से ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं और साथ ही वायु प्रदूषण और उत्तर भारत में हिमनदों के पिघलने की घटनाओं में तेजी आई है। शोध के अनुसार भारत की भीषण गर्मी की वजह से स्कूलों के बंद होने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।