सुप्रीम कोर्ट में वीवीपैट पर्चियों के 100% वेरिफिकेशन का विरोध

चुनाव आयोग बोला- यह पुराने युग में जाने जैसा

सुप्रीम कोर्ट में वीवीपैट पर्चियों के 100% वेरिफिकेशन का विरोध

 नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) की पर्चियों के 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। चुनाव आयोग ने एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की याचिका पर एक हलफनामा दायर करके कहा कि शत-प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की गिनती ईवीएम के उपयोग की भावना के खिलाफ होगी। इसका मतलब पुराने पेपर बैलेट व्यवस्था पर वापस लौटना होगा। चुनाव आयोग ने 469 पन्नों के एक बड़े हलफनामे में यह भी दावा किया कि वीवीपैट के माध्यम से यह सत्यापित करने का मतदाताओं का कोई मौलिक अधिकार नहीं है कि उनका वोट डाले गए वोट के रूप में दर्ज किया गया और रिकॉर्ड किए गए वोट के रूप में गिना गया। नहीं हो सकता है अंतर : चुनाव आयोग ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से ईवीएम की गिनती और वीवीपैट पर्चियों की गिनती के बीच विसंगति हो सकती है, लेकिन ईवीएम की गिनती और वीवीपैट पर्चियों की गिनती के बीच किसी भी विसंगति की संभावना नहीं हो सकती है। एडीआर की याचिका गलत, नहीं होता नियमों का उल्लंघन: इस महीने की चार तारीख को शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में एडीआर की याचिका को गलत बताते हुए कहा गया कि चुनाव संचालन नियम 1961 के प्रावधान किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करते हैं। वास्तव में संबंधित प्रावधानों की कई मौकों पर न्यायिक जांच हुई और उनकी संवैधानिकता को बार-बार बरकरार रखा गया है। गौरतलब है कि एडीआर ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में सभी मतदान केंद्रों के वीवीपैट के साथ ईवीएम में गिनती को सत्यापित करने की गुहार लगाई गई है।