सिर्फ 20% देशों में सेक्स एजुकेशन को लेकर कानून

सिर्फ 20% देशों में सेक्स एजुकेशन को लेकर कानून

नई दिल्ली। भारत समेत दुनियाभर में यौन शिक्षा यानी सेक्स एजुकेशन को लेकर अक्सर चर्चा होती है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर देशों में इसको लेकर जागरूकता नहीं है।

यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट के अनुसार, केवल 20 प्रतिशत देशों में यौन शिक्षा को लेकर कानून है, जबकि 39 प्रतिशत देशों में राष्ट्रीय नीति है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 68 प्रतिशत देशों में प्राइमरी स्कूलों में यौन शिक्षा अनिवार्य है, जबकि 76 प्रतिशत देशों में माध्यमिक विद्यालयों में ऐसी व्यवस्था है। इस रिपोर्ट में कहा गया है, लैंगिकता मानव जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। हालांकि, अगर युवाओं को सही वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान नहीं किया जाता है, तो भ्रामक जानकारी के कारण उन्हें बचपन से वयस्कता में प्रवेश करने पर परेशानियां हो सकती हैं।

युवा लोगों को जरूरत है विश्वसनीय जानकारी की

रिपोर्ट के अनुसार, युवा लोगों को विश्वसनीय जानकारी की जरूरत होती है, जिसके जरिए वे एक सुरक्षित, खुशहाल और पूर्ण जीवन के लिए तैयार होते हैं। युवाओं को प्रभावी शिक्षा देने के लिए एक संतुलित एवं व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। रिपोर्ट में की गई 50 देशों की पड़ताल से पता चलता है कि कई देश अपनी शिक्षा योजनाओं या दृष्टिकोण में यौन शिक्षा के महत्व को पहचानते हैं लेकिन उनके विधायी और नीतिगत ढांचे में इसको लेकर अंतर बना रहता है।

गर्भावस्था जैसे मुद्दों को किया जाता है कवर

रिपोर्ट के अनुसार 95 प्रतिशत देशों में, शिक्षा कार्यक्रम मुख्य रूप से एचआईवी और एड्स और अन्य एसटीआई से संबंधित मुद्दों को कवर करते हैं। केवल 17 प्रतिशत देश यौन अभिविन्यास, लिंग पहचान और लिंग अभिव्यक्ति के मुद्दों को कवर करते हैं। जीव विज्ञान, शरीर रचना विज्ञान, शरीर जागरूकता, यौवन, गर्भावस्था और जन्म से संबंधित मुद्दे भी अक्सर कवर किए जाते हैं। इसके अलावा, तीन चार देशों में मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों को कवर किया जाता है।

क्या है रिपोर्ट में

  • दस में से छह से अधिक देशों में लैंगिक भूमिका, यौन और घरेलू दुर्व्यवहार जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। 
  • दो में से एक देश आपसी सहमति की अवधारणा को मानता है। 
  • दो-तिहाई देशों में गर्भनिरोधक मुद्दों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।