पूरे घर की हवा क्लीन करने काफी नहीं होता एक प्यूरीफायर, तकनीकी पॉइंट समझकर करें चुनाव

मौसम में बदलाव, वायु प्रदूषण और बढ़ता कंस्ट्रक्शन वर्क बढ़ा रहा लोगों में सांस के रोग

पूरे घर की हवा क्लीन करने काफी नहीं होता एक प्यूरीफायर, तकनीकी पॉइंट समझकर करें चुनाव

 मौसम में बदलाव के चलते, एयर पॉल्यूशन और शहर में बढ़ता कंस्ट्रक्शन वर्क बारीक धूल के कणों को लोगों के शरीर में नाक के माध्यम से पहुंचा रहा है जिसके चलते लोगों में एलर्जी, बढ़ता अस्थमा, लगातार छींके और सर्दी-जुकाम देखा जा रहा है। शहर में अब इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर्स पर एयर प्यूरीफायर के बारे में इंक्वायरी आने लगी है लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि एयर प्यूरीफायर लगा देना भर समस्या का निदान नहीं है क्योंकि यह पूरे घर की हवा को क्लीन नहीं करते बल्कि अपनी कैपेसिटी के मुताबिक सीमित जगह की हवा की सफाई करते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि एक प्यूरीफायर से पूरे घर की हवा साफ नहीं हो सकती। दरअसल, प्यूरीफायर में फिल्टर की संख्या और प्रकार, कितने क्षेत्रफल की हवा साफ कर सकते हैं आदि बातें देखना जरूरी होता है।

फिलिप्स एयर प्यूरीफायर

नैनो प्रोडक्ट एचईपीए फिल्टर 0.003 माइक्रोन के 99.97 प्रतिशत कणों को पकड़ लेता है। कार्बन फिल्टर और प्री-फिल्टर के साथ 3- स्टेज में 0.003 माइक्रोन जैसे छोटे 99.97 प्रतिशत अल्ट्रा- फाइन कणों को कैप्चर करता है।

तकनीकी और फिल्टर से तय होती शुद्धता

एयर प्यूरीफायर वास्तव में हवा से पार्टिक्यूलेट मैटर जिसे पीएम भी कहा जाता है, कुछ हद तौर पर रोकते हैं। कुछ प्रकार के एयर प्यूरीफायर को एलर्जी, अस्थमा और अन्य श्वास संबंधी विकारों में भी मददगार होते हैं। एयर प्यूरीफायर की सफाई क्षमता उसकी गुणवत्ता और टेक्नोलॉजी पर निर्भर करती है। यह कम छोटी जगहों पर प्रदूषण को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है। सामान्य तौर पर अधिकांश प्यूरीफायर कमरे की हवा खींचते हैं, आंतरिक फिल्टर से गुजारते हैं, इस प्रक्रिया में कणों और प्रदूषकों को फिल्टर करते हैं और फिर स्वच्छ हवा को वापस कमरे में छोड़ देते हैं।

काउए एयर प्यूरीफायर

विशेष एंटी-वायरस ग्रीन एचईपीए फिल्टर जापानी गिंगको पत्तियों और सुमाक पेड़ों से बना है, जिसमें वायरस, एलर्जी, पीएम 0.1 और पीएम 2.5 कण को नष्ट करने की क्षमता है। इस प्रकार, यह न केवल वायरस और बैक्टीरिया को फंसाकर, बल्कि प्रभावी रूप से उन्हें स्थायी रूप से समाप्त करने का दावा करता है।

थ्री स्टेज में करते हैं काम

प्यूरीफायर में तीन स्टेज फिल्टर होते हैं। पहले स्तर पर मोटी धूल, पेट हेयर, बैक्टीरिया को ट्रेप फिर दूसरी स्टेज में बारीक धूल, कणों, जर्म व एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों को ट्रेप करते हैं। तीसरी स्टेज में पेंट, वार्निश आदि पर काम करते हैं।

बचाव के लिए बाहर जाने पर मास्क लगाएं

एयर प्यूरीफायर बहुत छोटी मात्रा में धूल, बैक्टीरिया और वायरस को क्लीन कर पाते हैं। मौसम में नमी के कारण जितनी धूल सतह पर जमी रहती हैं, प्यूरीफायर उसका कुछ नहीं कर पाते। इस समय श्वास रोग काफी बढ़े हैं और जिन लोगों के घरों में प्यूरीफायर लगे हैं, उन्हें छह महीने की बजाए एक महीने में ही प्यूरीफायर का फिल्टर बदलना पड़ रहा है। मोटी धूल को जरूर प्यूरीफायर साफ करते हैं और जिन्हें श्वास संबंधी परेशानियां है, वे इसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं लेकिन सबसे बेहतर उपाय यह है कि जब भी बाहर जाएं मास्क लगाएं। नाक में धूल जाने से रोकने का यह कारगर उपाय है। हर कमरे व क्षेत्रफल के हिसाब से प्यूरीफायर अलग-अलग लगाने होते हैं। डॉ. पराग शर्मा, श्वास रोग विशेषज्ञ

एयर प्यूरीफायर खरीदने के कुछ खास टिप्स

  •  प्यूरीफायर खरीदने से पहले उसका क्लीन एयर डिलवरी रेट(सीएडीआर)चेक करें।
  • सीएडीआर से पता चलता है कि मशीन हर घंटे कितनी हवा साफ कर सकती है। 
  • एरिया के हिसाब से प्यूरीफायर मशीन लें। 
  • प्यूरीफायर के फिल्टर्स जितनी अच्छी क्वालिटी के होंगे, मशीन उतना अच्छा परफॉर्म करेंगे। 
  • फिल्टर्स को कैसे और कितने समय में बदलना होगा, यह देखें। 
  • इसमें साइलेंट मोड होना जरूरी है ताकि नींद खराब न हो।
  • अपनी जरूरत के हिबास से रिमोट, ब्लूटूथ, वाई-फाई जैसे फीचर्स देख लें। 
  • लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाला प्यूरीफायर ही लें। एचईपीएच टैग वाले प्यूरीफायर ही लें।