उम्र से बुजुर्ग, लेकिन ऊर्जावान इतने कि दिल से जवान

उम्र से बुजुर्ग, लेकिन ऊर्जावान इतने कि दिल से जवान

भोपाल। कुछ पल बैठा करो बुजुर्गों के पास, ऊर्जा- अनुभव से लबरेज ये बुजुर्ग सुनाते हैं शांत- गहरे समंदर-सी कहानी...। किसी लेखक की ये पंक्तियां राजधानी से जुड़े इन बुजुर्गों पर सटीक बैठती हैं। ये उम्र से भले ही बुजुर्ग हो गए हैं, लेकिन काम के प्रति लगन और ऊर्जामय जीवन के कारण अब भी जवान हैं। ये तीनों वरिष्ठजन जीवन के 90 बसंत देख चुके हैं, लेकिन जीवन को अब भी उसी जिंदादिली से जी रहे हैं। आज भी वे उसी तरह ऊर्जावान हैं, जैसे चिरयुवा उम्र में थे।

लोग कहते हैं इनसाइक्लोपीडिया

भोपाल के म्युनिसिपल कमिश्नर रहे देवी शरण 94 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। एक प्रशासनिक सेवक के अलावा उनकी पहचान पढ़ने और उत्कृष्ट लेखन करने वाले व्यक्ति के रूप में भी हैं। नवाबी जमाने के किस्से जानने और इतिहास के पन्नों को पलटने के लिए लोग उनके पास आते हैं। उन्हें इनसाइक्लोपीडिया कहकर पुकारते हैं। वह कहते हैं कि मैं शुरुआत से सादे भोजन में विश्वास करता था और शायद यही इस उम्र में भी मेरी ऊर्जा का राज है। लिखना-पढ़ना आज भी जारी है। साथ ही लोग अनेक विषयों पर चर्चा करने आते हैं। उनका साथ हमेशा नई ऊर्जा दे देता है।

लेखनी वह नशा, जिसकी लत है

पर्यावरणविद् के रूप में पहचाने जाने वाले राजधानी के 90 वर्षीय घनश्याम सक्सेना की दिनचर्या बेहद सधी हुई है। वह ‘शरीर देव मंगलम’ में विश्वास करते हैं। वर्तमान में वह ट्राइबल लाइफ से प्रेरित एक उपन्यास लिख रहे हैं। सक्सेना कहते हैं कि प्रकृति ने जो ऊर्जा दी है, उसका निरंतर उपयोग करना चाहिए। मेरी 14 किताबें प्रकाशित हो चुकी है और अब 15वीं किताब लिख रहा हूं। लगातार मिलने आते लोग और पर्यावरण की चर्चा मुझे एनर्जी देती है। एक्टिव रहने योग करता हूं। वे आज भी प्रोफेसर कॉलोनी स्थित घर से हिंदी भवन व गांधी भवन के कार्यक्रमों में पैदल जाते हैं।

हमेशा सक्रिय बने रहना चाहिए

सुप्रतिष्ठित छायाकार और जनसंपर्क विभाग के अपर संचालक के पद से सेवानिवृत्त जगदीश कौशल कहते हैं कि आदमी को नौकरी से रिटायर होना चाहिए, जिंदगी से नहीं। वे आज भी आधुनिक फोटोग्राफी करते हैं। कार्यक्रमों में शामिल भी होते हैं। बीते माह जीवन के 90 वर्ष पूर्ण करने पर राजधानी के सप्रे संग्रहालय में इनका शतायु कामना पर्व मनाया गया। कौशल कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी की खराब दिनचर्या और भोजन उनका सबसे बड़ा दुश्मन है। इसके विपरीत हम युवा अवस्था से ही नियमसं यम से रहने में विश्वास करते हैं। यही शायद हमारे एक्टिव रहने का राज है।