अब निशानी रहेगा राजनीति के संत का बंगला, दीपक जोशी ने छोड़ा आवास
भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी ने सरकारी बंगला छोड़ दिया है। फिलहाल भोपाल प्रवास के दौरान वे अपने बहनोई के घर ठहरेंगे। ‘राजनीति के संत’ कैलाश जोशी का आवास अब मात्र निशानी के तौर पर रहेगा। जूनियर जोशी के इस कदम से एक बात साफ है कि वे अब आर- पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं। सभी की निगाहे अब 6 मई पर लग गई है जिस दिन वे कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। पूर्व मंत्री दीपक जोशी के इस कदम से प्रदेश की राजनीति में अचानक गर्मी आ गई है। जहां भाजपा के वरिष्ठ नेता दीपक को अपना निर्णय बदलने के लिए मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं तो वहीं कांग्रेस की बांछे खिल गई हैं। सूत्रों के अनुसार दीपक 5 मई की रात को भोपाल पहुंचेंगे और अपने बहनोई के आवास में ही रहेंगे। अगले दिन वे अपने पिता को आवंटित सरकारी बंगले से कैलाश जोशी की फोटो लेकर प्रदेश कांग्रेस दμतर रवाना होंगे और वहां पहुंचकर कांग्रेस में विधिवत शामिल होंगे, हालांकि इस बीच भाजपा संगठन भी उन्हें रोकने की पुरजोर कोशिश करेगा। दीपक जोशी लंबे समय से भाजपा संगठन से नाराज चल रहे हैं। दरअसल, हाट पिपलिया सीट से पूर्व मंत्री दीपक जोशी की दावेदारी है लेकिन इस सीट से बीजेपी उप चुनाव में विजयी हुए मनोज चौधरी को फिर अपना प्रत्याशी बना सकती है। इसी के चलते दीपक जोशी की टिकट मिलने की राह कठिन नजर आ रही है।
डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा
दीपक जोशी द्वारा कांग्रेस में जाने की पुष्टि के बाद भाजपा ने उन्हें रोकने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। यह बात सामने आते ही देवास के पूर्व मेयर शरद पाचुनकर और उनके समर्थक दीपक जोशी के घर पहुंच गए। उधर, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महामंत्री प्रदीप चौधरी भी उनसे मिलने उनके घर पहुंचे। भाजपा के प्रदेश स्तर के नेता भी दीपक जोशी से लगातार संपर्क कर रहे हैं। मंगलवार को गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भी जोशी को समर्पित व्यक्ति बताया। डॉ. मिश्रा ने कहा किवे समर्पित व्यक्ति हैं। मेरे साथ मंत्रिमंडल में भी रहे हैं। वे योग्य व्यक्ति हैं। हमारे वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं, हम सब उनके साथ हैं।
आखिर क्यों बने ऐसे हालात?
जब से भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ है, तब से जोशी परिवार बीजेपी, जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक के लिए काम करता आया है, लेकिन मार्च 2020 के बाद पूरा राजनीतिक परिदृश्य ही बदल गया क्यूंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थको के साथ कमलनाथ सरकार गिरा दी थी। उसके बाद सिंधिया समर्थकों को पुराने कार्यकर्ताओं से ज्यादा महत्व मिलने लगा। हाट पिपलिया विधायक मनोज चौधरी भी भाजपा में शामिल हो गए और बाद में हुए उपचुनाव में भी जीत हासिल की।