स्कूली किताबों में अब इंडिया की जगह भारत लिखने की सिफारिश
नई दिल्ली। नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) द्वारा सिलेबस में बदलाव के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने सभी स्कूली किताबों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। समिति के अध्यक्ष सीआई आइजैक के अनुसार, इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल, प्राचीन इतिहास के स्थान पर क्लासिकल हिस्ट्री, सभी विषयों के सिलेबस में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) शुरू करने की सिफारिश की। एनसीईआरटी के अध्यक्ष दिनेश सकलानी ने कहा कि समिति की सिफारिशों पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं,आइजैक ने कहा, समिति ने आईकेएस को शामिल करने की भी सिफारिश की है।
अंग्रेजों ने अंधकारमय बताया इतिहास: आइजैक ने कहा कि समिति ने किताबों में विभिन्न लड़ाइयों में हिंदुओं की विजयों पर प्रकाश डालने के लिए कहा है। किताबों में हमारी विफलताओं का उल्लेख है, लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी विजयों का नहीं। अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों में विभाजित किया। इसमें भारत को अंधकारमय, विज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ बताया गया। हमने सुझाव दिया है कि भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल को मध्यकालीन और आधुनिक काल के साथ-साथ स्कूलों में पढ़ाया जाए।
भारत के संविधान को बदलने का अधिकार नहीं
भारत के संविधान को उन 300 लोगों ने बैठकर बनाया है, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई थी। संविधान के अनुच्छेद 1 (1) में स्पष्ट रूप से लिखा है- इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का संघ होगा। इसे बदलने का अधिकार एनसीईआरटी तो क्या भारत के मंत्रिमंडल को भी नहीं है। केंद्र सरकार अपनी योजनाओं में डिजिटल इंडिया, खेलो इंडिया, स्किल इंडिया में इंडिया शब्द का उपयोग करती है, फिर किताबों में यह बदलाव क्यों? - अनिल सदगोपाल, शिक्षाविद्
यह अच्छा प्रयास है, छात्र संस्कृति को समझेंगे
भारत देश का नाम राजा भरत के नाम पर रखा गया था। इसे स्टूडेंट भूलते जा रहे हैं। इंडिया की जगह भारत लिखने का एनसीईआरटी का अच्छा प्रयास है। किताबों में किए जा रहे बदलाव को किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। जब देश भर में पाश्चात्य संस्कृति का बोलबाला है, ऐसी स्थिति में देश भर के स्टूडेंट निश्चित ही भारतीय संस्कृति को समझेंगे और उससे जुड़ेंगे। यह अच्छा प्रयास है। -प्रो. पीके जैन, पूर्व प्राचार्य, हमीदिया कॉलेज
एनसीईआरटी के बदलाव जिन पर हुआ है विवाद
- महात्मा गांधी के रिफरेंसेज को 12वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब में बदला गया।
- मुगल इतिहास के रिफरेंसेज को किताबों में छोटा किया गया।
- पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के रिफरेंसेज को 11वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब से हटा दिया गया।
- जम्मू-कश्मीर के विलय के रिफरेंस को 11वीं की किताब से हटाया गया।
- नौवीं और दसवीं की किताब से चार्ल्स डार्विन की थ्योरी हटाई।