मोटापा न बढ़े इसलिए अब रागी और कुटकी से बन रहे ग्लूटेन फ्री पास्ता
पास्ता एक प्रकार का नूडल है जो पारंपरिक रूप से ड्यूरम गेहूं से बनाया जाता है। इसे अलग-अलग नूडल आकार में बनाया जाता है और फिर उबलते पानी में पकाया जाता है। आजकल, पास्ता के रूप में बेचे जाने वाले अधिकांश उत्पाद सामान्य गेहूं से बने होते हैं, जिससे गेहूं के दाने से चोकर और कई पोषक तत्व निकल जाते हैं। कई बार रिफाइंड पास्ता में अलग से कुछ पोषक तत्व, जैसे विटामिन-बी, आयरन वापस मिलाए जाते हैं। यही वजह है कि अब होलग्रेन व मल्टीग्रेन पास्ता को लेकर प्रचार बढ़ रहा है क्योंकि लोग हेल्थ कॉन्शियस हो रहे हैं। इस तरह के पास्ता में गेहूं के दाने के सभी पोषक तत्व वाले भाग शामिल होते हैं। अब कंपनियां क्विनोओ, चना, लाल मसूर की दाल, सूजी व रागी, मिलेट्स और मल्टीग्रेन से भी पास्ता बना रही हैं जो कि ग्लूटेन फ्री व एमएसजी फ्री होते हैं। वर्ल्ड पास्ता डे पर जानिए कैसे घर में रेगुलर पास्ता खाने वाले अपना सकते हैं, पास्ता के हेल्दी विकल्प।
प्लांट बेस्ट प्रोटीन से बने पास्ता
न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. रश्मि श्रीवास्तव कहती हैं, अब मैदे या गेहूं की बजाए हेल्थ कॉशियस लोगों के लिए बंगाल ग्राम फ्लोर से बना प्रोटीन पास्ता भी आ रहा। यह चने से बना पास्ता होता है। वहीं पी- प्रोटीन(मटर) व लाल मसूर की दाल से बना ग्लूटेन फ्री, प्रिजर्वेटिव फ्री और एमएसजी फ्री पास्ता भी आने लगा है। मल्टीग्रेन व होलग्रेन के कई ब्रांड्स मार्केट में हैं, जिससे पास्ता खाने वालों को अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए अपनी पसंदीदा कुजिन खाने का मौका मिल रहा है। इसके इसके अलावा बड़े चने और क्विनोआ पास्ता भी आर्गेनिक फार्मिंग के जरिए तैयार किए जा रहे हैं। छोटे साबुत अनाज जिन्हें कोदो-कुटकी भी कहा जाता है इससे भी पास्ता बनाए जा रहे हैं, इनमें विटामिन बी-3 होते हैं व यह केलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखते हैं। पास्ता 70 फीसदी सूजी और 30 फीसदी रागी से बने पास्ता भी मार्केट में उपलब्ध हैं।
रिफाइंड पास्ता में नहीं होते पोषक तत्व
होलग्रेन पास्ता को सफेद पास्ता की तुलना में अधिक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प माना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम और जिंक जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। दूसरी ओर, रिफाइनिंग की प्रोसेस के दौरान सफेद पास्ता से इनमें से कई पोषक तत्व कम जाते हैं।
लाल मसूर की दाल का भी उपयोग
होलग्रेन व मल्टीग्रेन पास्ता का विकल्प ठीक है लेकिन ग्लूटेन फ्री सभी के लिए जरूरी नहीं है। सीलिएक जैसी कुछ बीमारियों के मरीजों के लिए ग्लूटेन नुकसानदेह होता है, क्योंकि उनमें ग्लूटेन के प्रति एक ऑटोइम्यून रिस्पॉन्स बनता है जो छोटी आंत को नुकसान पहुंचाता है। इससे पेट दर्द, गैस, अपच और यहां तक कि दस्त भी हो सकता है। इसके अलावा जो लोग रेगुलर पास्ता खाते हैं वे सूजी-रागी, कोदो-कुटकी, चने व लाल मसूर की दाल से बने पास्ता को ले सकते हैं ताकि उनके शरीर में कैलोरी व कोलेस्ट्रॉल की अधिकता न हो। सफेद पास्ता या गेहूं के पास्ता को रेगुलर खाने से अच्छा है कि हेल्दी विकल्प अपनाएं। पास्ता यदि मैदा व गेहूं में रेगुलर में खाते हैं तो यह मोटापे व बीमारियों का कारण बनता है। -डॉ. अलका दुबे, न्यूट्रीशनिस्ट