अमेरिका में नहीं बचे बिलों के भुगतान करने लायक पैसे

अमेरिका में नहीं बचे बिलों के भुगतान करने लायक पैसे

वाशिंगटन। अमेरिका गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है और देश की वित्त मंत्री (ट्रेजरी सचिव) जेनेट येलेन ने राष्ट्रपति जो बाइडेन की नेतृत्व वाली मौजूदा अमेरिकी कांग्रेस सरकार को चेतावनी देते हुए चिट्ठी लिखकर कहा है कि सरकार के पास 1 जून तक अपने बिलों का भुगतान करने के लिए नकदी खत्म हो सकती है। येलेन ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ऋण सीमा बढ़ाने में विफल रहती है, तो अमेरिका 1 जून की शुरुआत में नकदी से बाहर हो सकता है। इसके बाद अपने डेट रिपेमेंट पर डिफॉल्ट हो सकता है। इस चेतावनी के बाद बाइडेन प्रशासन में खलबली मच गई है और राष्ट्रपति जो बाइडेन को शीर्ष चार कांग्रेस सदस्यों के साथ बैठक कर इस समस्या से निपटने के उपाय खोजने को कहा है।

इस साल जनवरी में भी दी थी चेतावनी:

अमेरिकी वित्त मंत्री ने इस तरह की चेतावनी कोई पहली बार नहीं दी है। इससे पहले जनवरी में भी उन्होंने चेतावनी दी थी कि अमेरिका जून तक कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट कर सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अमेरिका डेट लिमिट को पार कर चुका है। इसलिए तो येलन ने संसद से जल्दी से जल्दी डेट लिमिट बढ़ाने का अनुरोध किया था।

खोजने होंगे उपाय: 1 जून से होगी डिफॉल्ट होने की शुरुआत

अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन के पत्र से पता चलता है कि अमेरिका 1 जून की शुरुआत में डिफॉल्ट की श्रेणी में प्रवेश कर सकता है, यानी जून महीने में अमेरिका डिफॉल्ट हो सकता है, जिसके वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी परिणाम होंगे। ट्रेजरी सचिव ने यह भी कहा है कि निश्चित रूप से सटीक तारीख की भविष्यवाणी करना असंभव है कि आखिर कब ट्रेजरी, सरकार के बिलों का भुगतान करने में असमर्थ हो जाएगा। वहीं उन्होंने इस मुद्दे पर विचार करने को कहा है।

1960 के बाद से अब तक कई बार बढ़ चुकी है ऋण सीमा

ऋण सीमा यानी डेट लिमिट वह सीमा होती है, जहां तक अमेरिका की फेडरल गवर्नमेंट उधार ले सकती है। अमेरिका में डेट लिमिट यानी ऋण सीमा को 1960 के बाद से 78 बार बढ़ाया जा चुका है। पिछली बार ऋण सीमा को दिसंबर 2021 में बढ़ाया गया था और इस सीमा को 31.4 ट्रिलियन डॉलर कर दिया गया था। वित्तमंत्री का कहना है कि अमेरिका की सरकार 31.4 ट्रिलियन डॉलर का खर्च कर चुकी है और अब सरकार के पास अपने बिलों का भुगतान करने पैसे नहीं बचे हैं। उन्होंने फिर से इस सीमा को बढ़ाने के लिए देश की संसद के स्पीकर केविन मैक्वार्थी को पत्र लिखा है।

यह पड़ेगा असर: 70 लाख नौकरियों पर संकट

♦ अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगर अमेरिका डिफॉल्ट करता है, तो पूरी दुनिया पर इसके गंभीर परिणाम होंगे।

♦ अमेरिका पर पहली बार डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है और अगर ऐसा हुआ तो एक झटके में करीब 70 लाख लोगों की नौकरी, सिर्फ अमेरिका में चली जाएगी।

♦ अमेरिका की जीडीपी में एक झटके में 5 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है, जिसका असर भारत समेत दुनिया के हर हिस्से पर होगा।

♦ अमेरिका अगर अपने कर्ज के भुगतान में फेल होता है, तो इसका गंभीर असर ग्लोबल फाइनेंशियल स्टैबिलिटी पर होगा और लोगों का जीना दूभर हो जाएगा।