बच्चों के सुसाइड के लिए कोचिंग नहीं, पैरेंट्स जिम्मेदार
मुंबई के डॉक्टर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- माता-पिता की उम्मीदें बच्चों को जान देने के लिए प्रेरित कर रहीं
नई दिल्ली। छात्रों के बीच बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के माता-पिता के जिम्मेदार ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि छात्रों के बीच बढ़ती आत्महत्याओं के लिए कोचिंग सेंटर्स को दोषी ठहराना उचित नहीं है, क्योंकि माता-पिता की उम्मीदें बच्चों को जान देने के लिए प्रेरित कर रही हैं। कोर्ट ने यह टिप्पणी मुख्य रूप से राजस्थान के कोटा में छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं को लेकर की है। बता दें, इस वर्ष राजस्थान के कोटा जिले में लगभग 24 आत्महत्याओं की सूचना मिली है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली दो सदस्य पीठ ने प्राइवेट कोचिंग सेंटर को रेगुलेट करने और उनके लिए एक स्टैंडर्ड तय करने के लिए कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुए कहा कि समस्या अभिभावकों की है, कोचिंग संस्थानों की नहीं। पीठ में शामिल जस्टिस एसवीएन भट्टी ने कहा कि यह आत्महत्याएं कोचिंग इंस्टीट्यूट की वजह से नहीं हो रही हैं, बल्कि इसलिए हो रही हैं, क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाते। बता दें, अदालत मुंबई के डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया है कि कोचिंग सेंटर छात्रों को अपने फायदे के लिए तैयार करके मौत के मुंह में धकेल देते हैं। डॉक्टर की ओर से पेश अधिवक्ता मोहिनी प्रिया ने कहा कि कोटा में आत्महत्याओं ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन यह घटना सभी निजी कोचिंग सेंटर के लिए आम हैं और ऐसा कोई कानून या रेगुलेशन नहीं है, ताकि इन घटनाओं के लिए इन्हें जवाबदेह ठहराया जाए।
कोर्ट ने कहा- मामले पर केंद्र को पेश करें रिप्रेजेंटेशन
कोर्ट ने कहा कि आजकल परीक्षाएं इतनी प्रतिस्पर्धात्मक हो गई हैं और छात्र आधे या एक नंबर से परीक्षा में फेल हो जाते हैं। वहीं, माता-पिता को भी बच्चों से काफी उम्मीदें रहती हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि वह मामले में या तो राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं, क्योंकि याचिका में जिन आत्महत्याओं की घटनाएं का जिक्र है, उनमें कई कोटा से संबंधित हैं या फिर केंद्र सरकार को एक रिप्रेजेंटेशन दें, हम इस मुद्दे पर कानून नहीं बना सकते हैं। इस पर वकील प्रिया ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगते हुए संकेत दिया कि वह एक रिप्रेजेंटेशन पेश करना चाहेंगी।