6 साल की मासूम से दुराचार करने वाले नाबालिग को जमानत नहीं
जबलपुर। मप्र हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में 6 साल की बच्ची से रेप के आरोपी 15 साल के किशोर को जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस डीके पालीवाल की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि 6 साल की मासूम बच्ची के साथ 15 साल से अधिक उम्र के लड़के ने हिंसक यौन उत्पीड़न किया है। एक्ट में जमानत के प्रावधानों को पीड़ित बच्चे के रोने की अनदेखी करते हुए केवल किशोर के लाभ के लिए काम करने के लिए व्याख्या नहीं की जा सकती है।
प्रकरण के अनुसार सतना जिले में 6 साल की मासूम लड़की के साथ 15 साल के लड़के ने हिंसक तरीके से दुराचार किया था। आरोपी लड़का उसका पड़ोसी है और उसके मामा की दुकान पर काम कर रहा था। किशोर की जमानत का आवेदन को जिला न्यायालय ने खारिज कर दिया था। जिस पर आरोपी ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। एकलपीठ ने जमानत आवेदन को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि आरोपी वीडियो क्लिप दिखाने मासूम पीड़िता को दुकान के अंदर ले गया। इसके बाद, अश्लील वीडियो दिखाया और उसका यौन उत्पीड़न किया, जिससे उसके निजी अंगों पर गंभीर चोटें आईं।
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि किशोर न्याय अधिनियम का उद्देश्य कानून के साथ संघर्ष करने वाले बच्चे के साथ-साथ देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चे दोनों की देखभाल करना है। पीड़ित बच्चे की जरूरत या कल्याण की अनदेखी करते हुए केवल कानून का उल्लंघन करने वाले किशोर को लाभ नहीं दिया जा सकता है। एक किशोर के प्रति गलत सहानुभूति दिखाकर पीड़िता और समाज को न्याय से वंचित करना कानून का इरादा नहीं है।