लापरवाही : एक साल बाद भी शुरू नहीं हुई जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन

लापरवाही : एक साल बाद भी शुरू नहीं हुई जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन

इंदौर। कोविड महामारी ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल दिया है। मालदीव से लौटे महिला- पुरुष की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद इंदौर शहर के हर अस्पताल में स्वास्थ्य अमला अलर्ट मोड में आ गया है, लेकिन इस बीच विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। वह भी तब जब नए वेरिएंट की शहर में एंट्री हो गई है। दरअसल महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज (एमजीएम) में लाखों रुपए की लागत से लाई गई जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन सालों बाद भी रिबिन कटने का इंतजार कर रही है। जब से यह मशीन बुलाई गई है तब से आज तक एक सैंपल की भी जांच नहीं की गई।

कोविड संक्रमण की दो खतरनाक लहरों के बाद इंदौर में 1 दिसंबर 2022 को एमजीएम मेडिकल कॉलेज में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन को लगाया गया था। इसके पहले कोरोना के सैंपल भोपाल भेजे जाते थे, क्योंकि यहां पर्याप्त साधन नहीं थे, लेकिन जब से यह मशीन लगी है तब से अब तक एक बार भी कोविड का टेस्ट इस मशीन के जरिए नहीं हुआ। आज भी किसी को भी कोरोना होता है तो उसके सैंपल भोपाल ही भेजे जाते हैं। अभी हाल ही में कोरोना के नए वेरिएंट की दो मरीजों के सैंपल भी भोपाल लैब में भेजे हैं।

मशीन को लेकर किए गए थे ये दावे

दूसरी लहर के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन भेजी थी। इस मशीन के आने के बाद दावा था कि किसी भी वायरस के वेरिएंट की जांच इससे हो सकेगी। इसके लिए अब इंदौर को भोपाल और दिल्ली पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। यह मशीन एक महीने में काम करना शुरू कर देगी, लेकिन साल भर हो गया है मशीन अब तक शुरू नहीं हुई है। कुछ माह पूर्व मशीन का उपयोग करने के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के विशेषज्ञों द्वारा शहर के डॉक्टरों को तीन दिन की ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। बावजूद भी अभी तक यह शुरू नहीं हो पाई है।

घबराने की कोई बात नहीं : नोडल अधिकारी

आईडीएसपी नोडल अधिकारी अमित मालाकार ने बताया कि कोरोना का नया वेरिएंट ज्यादा खतरनाक नहीं है। इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है, लेकिन स्थिति ऐसी बनती है तो शहर में पांच हजार सात सौ चार बेड तैयार हैं। वहीं कोविड के प्रोटोकॉल के अनुरूप सोशल डिस्टेसिंग बनाकर रखें।मास्क का प्रयोग करें। साथ ही एयरपोर्ट में 2 प्रतिशत लोगों की रेंडम जांच होती है। भविष्य में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की इसको लेकर कोई गाइडलाइन आती है उसके अनुसार कार्य किया जाएगा। साथ ही जिनमें कोविड के लक्षण दिखाई देते हैं, उनका आईएलआरआई का टेस्ट करें। सामान्य मरीजों की जांच ना करें। मरीज भी आईसीएमआर लैब या जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में जांच कराएं।

भोपाल एम्स भेज रहे हैं सैंपल

फिलहाल सैंपल भोपाल एम्स भेजे जा रहे हैं। यहां मशीन का इंस्टालेशन हो चुका है। इसे चालू करने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण की आवश्यकता थी। इसके लिए छह लाख रुपए मंजूर किए थे। साथ ही मशीन के लिए आवश्यक किट उपलब्ध होने के बाद मशीन शुरू की जाएगी। यदि इंदौर में नंबर ऑफ पेशेंट आते हैं तो भोपाल से अनुमति मिलने के बाद इसे शुरू किया जाएगा। - डॉ. संजय दीक्षित,डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज