ननि का स्वास्थ्य विभाग : बताते हैं साढ़े तीन हजार सफाई कर्मी मौके पर कभी नहीं मिलते
जबलपुर। लंबे समय से चल रहे स्वास्थ्य विभाग के झोलझाल को निगमायुक्त प्रीति यादव ने गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य अधिकारी बदलकर डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया है। वहीं सालों बाद इस तरह का कदम नगर निगम में चर्चा का विषय रहा है। वेदप्रकाश के बाद के आधे दर्जन निगमायुक्त इस तरह का कदम नहीं उठा पाए हैंजो एक महिला निगमायुक्त ने उठा कर चौंकाया है। नगर निगम के स्वास्थ्य अमले में इस समय नियमित व संविदा सहित ठेका कर्मी मिलाकर साढ़े 3 हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं,इसके बावजूद आखिर क्या वजह है कि नाले- नालियों में बजबजाती गंदगी,कचरे के ढेर जमा रहते हैं। 4 से 5 निजी सफाई एजेंसियों के माध्यम से शहर के आधे से ज्यादा वार्डों में सफाई करवाई जाती है। 1420 रुपए प्रति टन के हिसाब से घर- घर से कचरा कलेक्शन कार्य हेतु एस्सेल कंपनी को भुगतान किया जाता है,इसके बावजूद आए दिन लोग उनके घरों में कई-कई दिन तक कचरा वाहन न पहुंचने की शिकायत करते हैं।
लंबे समय से थे एचओ निगमायुक्त के टारगेट पर
गौरतलब है कि निगमायुक्त प्रीति यादव की पदस्थापना के बाद से ही उनका फोकस सफाई व्यवस्था को सुधारने में रहा है। वे कई बार अल सुबह सफाई व्यवस्था का निरीक्षण करने अचानक कहीं भी पहुंची हैं और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने कई बार स्वास्थ्य अधिकारी को चेता भी चुकी थीं। ऐसा समझा जा रहा है कि उनका भी सब्र का पैमाना छलक चुका था जिसके चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
अयाची को अनुभव की कमी, कई चुनौतियां
सामने सहायक आयुक्त के पद पर वर्ष 2018से नगर निगम में सेवाओं में आए संभव मनु अयाची स्मार्ट सिटी के कंट्रोल सेंटर में पदस्थ रहे हैं इसके अलावा उन्हें नगर निगम से जुड़े कुछ कामकाज में भी मौक दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली के हिसाब से उन्हे अनुभव कम है और उनके लिए पटरी से उतरी व्यवस्थाओं को वापस पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती है। उनके पिता राकेश अयाची नगर निगम में उपायुक्त रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग का प्रभार भी उनके पास रहा है।
कम कर्मी किए जाते रहे हैं तैनात
हर वार्ड में 40 कर्मचारी सफाई व्यवस्था के लिए तैनात किए जाते हैं। इसके अलावा विशेष गैंग में 10 कर्मचारी रखे जाते हैं। किसी भी वार्ड की नालियों की सफाई के लिए या सड़कें बुहारने के लिए इतनी संख्या पर्याप्त है। निजी सफाई एजेंसियां इसमें बीटों पर कम कर्मचारी तैनात करती आई हैं,यह सबसे बड़ी कमी रही है जिसके कारण शिकायतें बढ़ती रही हैं। पूरे कर्मचारी तैनात किए जाने कई तरह की कवायदें की गईं जिसमें बॉयोमीट्रिक से लेकर थंब इंप्रेशन से हाजरी शामिल हैं,आला अफसरों को औचक निरीक्षण करने की कवायद भी हुई मगर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और निजी सफाई एजेंसियों के बीच की सांठगांठ से सारी बेअसर साबित हुईं।
शहर को स्वच्छता में पहले पायदान पर लाने स्वास्थ्य विभाग में आवश्यक प्रशासनिक फेरबदल किया गया है। मंशा सफाई व्यवस्था में और अधिक सुधार लाने की है। प्रीति यादव,आयुक्त, नगर निगम।