मानव सेवा करने से ननि ने हाथ खींचे, वर्षों से बंद है प्याऊ लगाने की प्रथा

मानव सेवा करने से ननि ने हाथ खींचे, वर्षों से बंद है प्याऊ लगाने की प्रथा

जबलपुर। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि नगर निगम द्वारा वर्षो से प्याऊ लगाने की प्रथा बंद हो गई है। पहले यही नगर निगम गर्मी शुरू होने से पहले शहर में जगह-जगह पर प्याऊ लगाते थे, ताकि राहगीरों को पीने के पानी के लिये यहां वहां भटकना न पड़े, लेकिन निगम के अधिकारियों ने धीरे-धीरे इसे भी बंद कर दिया है। अब उनका कहना है कि लोगों जागरूकता आ गई है वे प्याऊ का पानी पीने से कतराते है। उनके इन तर्को से कितने लोग सहमत है। ये तो राहगीर ही बता सकते है। वहीं लोगों का कहना है कि इतनी भीषण गर्मी होने के बाद भी प्याऊ लगाने के लिये निगम का कलेजा पसीज क्यों नहीं रहा है।

रिक्शा, हाथ ठेला व लेबरों को कोई परहेज नहीं

नगर निगम के अधिकारी का कहना है कि प्याऊ का पानी पीने से लोग परहेज करते है। कहीं दूषित पानी पीने से बीमार न हो जाये। लेकिन वहीं रिक्शा, हाथ ठेला और लेवरों से पूछा कि अब शहर में प्याऊ न होने से उन्हें पीने के पानी की तकलीफ हो रही है कि नहीं इस पर उनका कहना हैं कि हम लोग खरीद कर पानी पी नहीं सकते हमारे लिये तो प्याऊ ही सब कुछ है। तपती दोपहर में अपने कामकाज से निकलने वालों के लिए न तो टाट की छोलदारी में रखे शीतल मटकों का पानी है और न पेड़ों की छाया।

सालों से नहीं लगाए ननि ने प्याऊ

इस संबंध में पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी ने बताया कि शहर में प्याऊ लगाने की प्रथा वर्षाे से बंद है। यही वजह है कि अब प्याऊ लगाये नहीं जाते है। अधिकारी का कहना है कि लोग अपने घरों से पानी लेकर चलते है इसलिये प्याऊ की अब इतनी जरूरत नहीं पड़ती है। वहीं कुछ नीले रंग की टंकियां भी जगह-जगह पर रखी गई है जिससे लोगों को पानी मिल जाता है।

वर्षों से बंद है प्याऊ लगाने का सिस्टम गर्मी के दिनों में प्याऊ लगाने की प्रथा वर्षो से बंद है। लेकिन लोगों में अब इतनी जागरूकता हो गई है कि वे स्वंम पानी लेकर चलते है। पीने के पानी के लिये कई जगह पर नीली पानी की टंकियां रखी हुई है। आरके गुप्ता,पीडब्ल्यूडी विभाग प्रभारी

पीने के पानी को तरसते हैं हम लोग पहले तो जगह- जगह पर प्याऊ होते थे लेकिन अब कहीं पर भी प्याऊ दिखाई नहीं देते है। अभी गर्मी के दिनों में ऐसी स्थिति बन गई है कि पीने के लिये पानी तक नहीं मिलता है उसके लिए हम लोग तरस जाते है। किशोरी,राहगीर

प्यास लगे तो पानी खरीदो

आज ये स्थिति बन गई है कि अगर रास्ते में प्यास लगी है तो आपको पानी खरीदना पड़ेगा, क्योंकि कहीं पर भी पीने के पानी की कोई सार्वजनिक व्यवस्था नहीं है। वहीं पहले प्याऊ की व्यवस्था हुआ करती थी। जहां पर लोगों को निशुल्क पानी पीने का मिल जाता था। सेन्ट्रो,राहगीर

अब कहां दिखते हैं प्याऊ

मुझे तो गर्मियों में कहीं पर भी प्याऊ दिखाई नहीं देते है। पहले तो फिर लोग गर्मी के दिनों में प्याऊ लगाते थे अब गत कई वर्षो से प्याऊ शहर में दिखाई नहीं दे रहे है। राहगीर स्वंम पीने के पानी की व्यवस्था करते है। राजू,राहगीर