सतपुड़ा और पेंच में एक नर पर तीन से ज्यादा बाघिन, कान्हा में सबसे कम
भोपाल। मप्र में बाघों की तुलना में बाघिनों की संख्या ज्यादा है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में बाघों की तेजी से बढ़ती संख्या की यह एक मुख्य वजह है। हाल ही में जारी बाघ गणना रिपोर्ट-2022 के अनुसार, प्रदेश में प्रति नर बाघ की टेरेटरी में दो से अधिक बाघिन हैं। सबसे ज्यादा बाघिन सतपुड़ा और पेंच टाइगर रिजर्व में हैं। यहां प्रति बाघ पर तीन से अधिक बाघिन हैं। इन दोनों टाइगर रिजर्व के बाहर भी बाघिन की संख्या बाघ के मुकाबले औसतन तीन से ज्यादा है। वहीं, सामान्य वन मंडलों की बात करें, तो शहडोल और उमरिया सामान्य वन मंडल में एक नर पर पांच से ज्यादा बाघिन हैं। यह किसी भी टाइगर रिजर्व की तुलना में सर्वाधिक है। मध्यप्रदेश के छह टाइगर रिजर्व में से लिंगानुपात के मामले में सबसे खराब स्थिति कान्हा टाइगर रिजर्व की है। यहां प्रति बाघ पर एक बाघिन है। पन्ना और बांधवगढ़ में प्रति नर बाघ पर एक से अधिक बाघिन हैं। रातापानी अभयारण्य क्षेत्र के औबेदुल्लागंज में प्रति नर बाघ पर दो से अधिक बाघिन रिकॉर्ड की गई हैं।
बांधवगढ़ में बाघों की डेंसिटी सबसे ज्यादा
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की डेंसिटी मध्यप्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व की तुलना में सबसे ज्यादा है। यहां प्रति 100 स्क्वायर किलोमीटर पर 7.5 बाघ हैं, जबकि कान्हा और पेंच में यह आंकड़ा 5.50 से अधिक हैं।
सतपुड़ा और संजय डुबरी में निराशा
वहीं, पन्ना में इनकी डेंसिटी प्रति 100 स्क्वायर किलोमीटर पर 3.18 बाघ कैमरा ट्रैपिंग में आए हैं। बाघों के मामले में सबसे ज्यादा खराब स्थिति सतपुड़ा और संजय डुबरी टाइगर रिजर्व की है। सतपुड़ा में प्रति 100 स्क्वायर किलोमीटर पर 2.01 और संजय डुबरी में 0.75 बाघ हैं।
रातापानी और सीहोर डिविजन में डेंसिटी कम
रातापानी और सीहोर डिविजन में बाघों की डेंसिटी ज्यादा नहीं है, यहां प्रति सौ स्क्वायर किलोमीटर पर 2.11 बाघ हैं। यहां प्रति बाघ पर 1.9 बाघिन होने का दावा किया गया है।