100 से ज्यादा नामों पर लगी मुहर विधायकों को फिर मिलेगा मौका
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने चुनावी रणनीति के लिए वरिष्ठ नेताओं के साथ रविवार को भी मैराथन बैठकें की। पार्टी के प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन भंवर जितेंद्र सिंह, पीसीसी प्रमुख कमलनाथ की मौजूदगी में नर्मदापुरम, भोपाल, जबलपुर और शहडोल संभाग की रायशुमारी की गई। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में संभागवार रायशुमारी के साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य पार्टी के लिए रणनीतिकार की तरफ से किए गए सर्वे की रिपोर्ट, जिला अध्यक्ष- प्रभारियों से मिले नाम को लेकर चर्चाएं कर रहे हैं। इनमें से जहां अलग-अलग सूचियों में जो नाम एक जैसे आ रहे हैं, उन पर सहमति बन रही है। सूत्रों की मानें तो रविवार तक करीब 100 नामों की तस्वीर साफ हो चुकी है। एक-दो अपवादों को छोड़कर कांगे्रस के वर्तमान विधायकों के टिकट लगभग तय माने जा रहे हैं। दिल्ली में 13 सितंबर को होने वाली स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद पहली सूची की घोषणा हो सकती है।
पैराशूट लैंडिंग करने वालों को टिकट नहीं देने का भी सुझाव : रायशुमारी के बाद स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि जो कांग्रेस का झंडा उठाकर चलेगा उसे ही टिकट दिया जाएगा। हमें चर्चा में कई सुझाव मिले हैं। बाहर से आने वालों को टिकट नहीं देने का सुझाव भी आया है, जिसे नोट कर लिया है। कई नेताओं ने पैराशूट लैंडिंग करने वाले नेताओं को टिकट नहीं देने का सुझाव दिया है। रणदीप सुरजेवाला और जितेंद्र सिंह ने मप्र कांग्रेस की चुनाव समिति के सदस्यों से औपचारिक बातचीत की।
भाजपा टूट रही है : सुरजेवाला
प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से कहा कि मप्र में भाजपा टूट रही है, बिखर रही है। भाजपा की स्थिति अंग्रेजी के तीन शब्दों के्रकिंग, डिसइंटीग्रेटिंग एंड ब्रेकिंग वाली है। उमा भारती को जन आशीर्वाद यात्रा में नहीं बुलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा की आदत अपने सब नेताओं को अपमानित करने की है।
दबाव में नाम तो नहीं दिया, हमारी नजर सब जगह है
रायशुमारी में जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी व एआईसीसी के प्रभारी सचिवों से मांगे गए नामों की वरीयता पर भी सवाल हुए। सुरजेवाला ने कहा कि किसी की सिफारिश में तो कोई नाम नहीं बढ़ाया गया है? हमारी निगाहें सब देख रही हैं। पार्टी के सर्वे, प्रभारी सचिवों के सर्वे में जो नाम आए हैं, उससे अलग कोई नाम आता है तो उसकी वजह होना चाहिए। जब जिलों के पदाधिकारियों के दावेदारी से संबंधित सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा क्राइटेरिया ‘जीतने वाला प्रत्याशी’ है। जिलाध्यक्षों को मंडल और सेक्टर बैठकें करने को कहा गया है।