जिला अस्पताल में क्षमता से अधिक मरीज भर्ती मेडिसिन और आर्थोे के मरीज हो रहे परेशान
ग्वालियर। जिला अस्पताल मुरार को लेकर दावे किए जा रहे थे कि अस्पताल का नया भवन बनने के बाद मरीजों की सारी परेशानी दूर हो जाएगी, लेकिन अस्पताल बना और इसका शुभारंभ भी हो गया है, लेकिन मरीजों की परेशानी जस की तस है। बदलते मौसम में उपचार मेडिसिन के साथ-साथ आर्थोपेडिक विभाग में मरीज उपचार के लिए परेशान हो रहे हैं, यहां पर क्षमता से कहीं अधिक मरीज भर्ती हैं। इस बात को प्रबंधन के अधिकारी भी मान रहे हैं कि उनके यहां अधिक मरीज भर्ती हैं। कुछ मरीजों को तो पलंग तक नसीब नहीं हो पा रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें जमीन में लेटकर ही उपचार लेना पड़ रहा है। इस अस्पताल में मरीजों के परेशान होने का सिलसिला अभी से नहीं करीब ढाई-तीन महीने से चल रहा है। पहले ओपीडी जच्चाखाने में चली, इसके बाद आईपीडी सिविल अस्पताल में चली। ऐसे में आने वाले कितने दिनों तक मरीजों को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ेगा, यह कहा नहीं जा सकता है। इस अस्पताल की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी आरएमओ एवं सिविल सर्जन पर है।
अब भी अधूरे काम, सीएमएचओ ने दिया 20 दिनों का समय
जिला अस्पताल के नए भवन के लोकार्पण को दो महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन इसका काम अब भी अधूरा है। इसकी खबर स्वास्थ्य विभाग के मुखिया तक को है। हाल ही में सीएमएचओ डॉ. आर के राजौरिया ने इस अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे थे तो उन्होंने खासी नाराजगी व्यक्त करते हुए निर्माण एजेंसी के ठेकेदार को 20 दिनों का समय दिया था, इसमें से कई दिन निकलने के बाद भी काम में तेजी नजर नहीं आ रही है।
200 से बढ़कर होने थे 300 बेड, नहीं हो पाए
20 करोड़ रुपए की लागत से बने इस अस्पताल में जब नए भवन का काम शुरू किया गया तो यह दावे किए गए थे कि डॉक्टर्स की सुविधा के साथ मरीजों के लिए 100 पलंग बढ़ाए जाएंगे, लेकिन अभी तक पलंग की संख्या 200 से 300 नहीं हो पाई है, हालांकि कुछ डॉक्टरों के ओपीडी में अलग से केबिन प्रारंभ कर दिए गए हैं। केवल पलंग ही नहीं बल्कि गंदगी एवं सुरक्षा का अभाव भी मरीजों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
नए अस्पताल का काम पूरा नहीं हो पाया है, इसकी वजह से मेडिसिन व आर्थोपेडिक विभाग में क्षमता से कहीं अधिक मरीज भर्ती हैं। इसकी हमें जानकारी है अभी हमारे यहां 200 पलंग ही हैं, इसके साथ ही 100 पलंग बढ़ाने के लिए डॉक्टरों से लेकर अन्य स्टाफ की जरूरत है। इसकी हम डिमांड कर चुके हैं। डॉ. आलोक पुरोहित, आरएमओ जिला अस्पताल मुरार