दुनिया में ब्रेस्ट और प्रोस्टेट से ज्यादा लंग्स कैंसर के मरीज
नई दिल्ली। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हालिया रिपोर्ट में लंग्स कैंसर (फेफड़ों के कैंसर) को बड़ी चिंता मानते हुए लोगों को इससे सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है। फेफड़े का कैंसर अमेरिका में दूसरा सबसे अधिक रिपोर्ट किया जाने वाला कैंसर है। साल 2020 में अनुमानित रूप से 135,720 लोगों की इसके कारण जान गई है। आश्चर्यजनक रूप से यह आंकड़ा स्तन कैंसर, कोलन और प्रोस्टेट कैंसर से होने वाली मौतों से कहीं अधिक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भारत में भी लंग्स कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जाहिर की है। डॉक्टरों का मानना है कि 2023 में 2.38 लाख से अधिक लोगों में इस कैंसर का निदान हो सकता है। कैंसर की रोकथाम को लेकर वैज्ञानिकों ने गाइडलाइंस जारी की हैं।
सुधार न किया गया तो मृत्यु दर में हो सकती है बढ़ोतरी
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के शोधकर्ताओं के अनुसार पिछले एक दशक की स्थिति की तुलना में 2025 तक भारत में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में सात गुना से अधिक वृद्धि देखी जा सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इसमें अगर सुधार न किया गया तो मृत्युदर को कम करना मुश्किल हो सकता है। फेफड़ों के कैंसर के लगभग 45 प्रतिशत रोगियों का निदान उस समय हो पाता है जब कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल चुका होता है।
गाइडलाइंस में स्क्रीनिंग पर जोर
यूनाइटेड स्टेट्स प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स (यूएसपीएसटीएफ) ने फेफड़ों के कैंसर की स्क्रीनिंग को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें 50 से 80 वर्ष की आयु के लोगों के साथ-साथ, हर साल कम से कम 20 पैक धूम्रपान करने वालों में कैंसर की स्क्रीनिंग को बढ़ाने पर जोर दिया गया है। नई गाइडलाइन का पालन करने से पहले की तुलना में फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों में 13% कमी आ सकती है।
अश्वेतों को ज्यादा खतरा
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अनुसार धूम्रपान इस कैंसर का प्रमुख जोखिम कारक है, ऐसे में जो लोग लंबे समय से धूम्रपान करते आ रहे हैं, उनमें इस कैंसर की स्क्रीनिंग बढ़ाने की सलाह दी गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिका में श्वेतों की तुलना में अश्वेतों में फेफड़ों के कैंसर का खतरा अधिक होता है। स्क्रीनिंग के मापदंडों का विस्तार करके लोगों में कैंसर के जोखिमों की जांच को आसान बनाया जा सकेगा।