वन विकास निगम के डिपो में लकड़ियों की हेराफेरी, डिप्टी रेंजर निलंबित
जबलपुर। वन विकास निगम के गोसलपुर स्थित केन्द्रीय काष्ठागार (डिपो) में जंगली लकड़ी में बड़ा खेला उजागर हुआ है। जिसके बाद संभागीय प्रबंधक (कुंडम परियोजना) ने पूरे प्रकरण में महिला डिप्टी रेंजर की संलिप्ता पाते हुए निलंबित कर दिया है। वहीं प्रकरण में आगे की पड़ताल चल रही है। हालाकि इस पूरे खेल में शामिल रहे पुराने दागियों को बचा लिया गया है। जो कार्रवाई पर सवाल भी खड़ा कर रहा है। जानकारी के मुताबिक गोसलपुर डिपो से लकड़ियों की नीलामी में बड़ी हेराफेरी की शिकायतें लगातार संभागीय कार्यालय को मिल रही थी। जिसकों संज्ञान में लेते हुए संभागीय प्रबंधक कुंडम परियोजना सीमा द्विवेदी ने 1 फरवरी को डिपों में छापामार कार्रवाई की थी।
छापामार कार्रवाई के दौरान सेक्टर कमांक 6 में लगभग 35 नग सागौन प्रजाति के लट्टे तथा 100 से 120 नग बल्लियां पाई गई। जिन पर न तो पातन नंबर और न ही जंगल नंबर स्पष्ट था। उक्त काष्ठ के संबंध में पूछे जाने पर प्रभारी काष्ठागार अधिकारी डिप्टी रेंजर वंदना भण्डारकर द्वारा बताया गया कि उक्त काष्ठ पुराने विकित लॉटो में से छूटे हुए नग हैं।तत्पश्चात लॉट क्रमांक एल ई 2889 के स्टेक कमांक 6013 से संबंधित दस्तावेज स्टेक लिस्ट का अवलोकन किया गया। अवलोकन करने पर पाया गया कि दस्तावेज में कांटछांट की गई हैं। काष्ठ का कुल घन मीटर 6.360 के स्थान पर 2.585 घन मीटर, 82 नग गुंजा लट्टा लेख किया गया है। पूछताछ में डिप्टी रेंजर ने स्वीकार किया गया कि उक्त कांटछांट आपके संज्ञान में है।
ऐसे खुला मामला
बताया जाता है कि जांच के दौरान टीपी बुक कमांक 29.137 का अवलोकन करने पर पाया गया कि सिर्फ 3.368 घन मीटर, 90 नग गुंजा लट्टा क्रेता को परिदान में लेख किया गया हैं। शेष 3.775 घन मीटर काष्ठ के संबंध में पूछे जाने पर डिपो प्रभारी डिप्टी रेंजर के द्वारा बताया गया कि उक्त काष्ठ भी भूलवश क्रेता के वाहन में लोड करा दिया गया है। किन्तु उसके लिए पृथक से टीपी जारी नहीं की गई हैं। टीपी बुक एवं स्टेक लिस्ट के घन मीटर तथा नग में अंतर पाया गया है। जिसके बाद पूरा खेल पकड़ में आ गया। संभागीय प्रबंधक सीमा द्विवेदी ने पाया कि डिप्टी रेंजर वंदना भण्डारकर द्वारा सुनियोजित तरीके से क्रेता एवं स्वयं को लाम पहुंचाने हेतु उक्त कृत्य कारित किया गया है।
भ्रष्टाचार उजागर होते ही, जारी हुआ निलंबन का आदेश
12 फरवरी को जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए संभागीय प्रबंधक कार्यालय ने एक आदेश जारी करते हुए डिप्टी रेंजर को बताया गया कि प्रभारी काष्ठागार अधिकारी की हैसियत से कार्य करते हुए काष्ठागार में की गई अनियमितता एवं वनोपज में हेरफेर करने के मामले में प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है। लिहाजा मप्र राज्य वन विकास निगम लि. कर्मचारी सेवा नियम 1984 में निहित प्रावधानों के तहत आगामी आदेश तक तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय चैरापौडी परियोजना परिक्षेत्र में किया गया है।