वन अधिकार पट्टे के लिए भटक रही मिलेट्स क्वीन, हर गांव में एक लहरी तैयार करना लक्ष्य
जबलपुर। देश में मिलेट्स क्वीन के खिताब से नवाजी गई लहरी बाई ने पीपुल्स को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि वे देश के हर गांव में एक लहरी बाई तैयार करना चाहती हैं। इस लक्ष्य के साथ वे प्रदेश के चार जिलों में काम कर रही हैं और मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए 500 किसानों को जोड़ा है। लहरी बाई ने यह बात दिल्ली में एबीवीपी के राष्ट्रीयस्तर पर आयोजित कार्यक्रम से लौटने के दौरान जबलपुर प्रवास के दौरान कही। उन्होंने बताया कि उन्हें ही सरकार खेती के लिए अब तक वन अधिकार के लिए पट्टा नहीं दिलवा पाई है। इसके लिए स्थानीय स्तर और जिलास्तर पर की गई हर कवायद फेल हो चुकी है लेकिन वे हार मानने वालों में से नहीं है। वे अभी तक अपनी लड़ाई खुद ही लड़ रही हैं अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सहयोग से सरकार से इसकी मांग करेगी।
जानें कौन है मिलेट्स क्वीन
पारंपरिक खेती के उत्थान की दिशा में काम कर रहीं लहरी बाई प्रदेश के डिंडोरी जिले की निवासी हैं। बैगा जनजाति से संबंध रखने वाली लहरीबाई पडिया को अपनी दादी तथा मां से मोटे अनाज की पौष्टिकता तथा महत्व पता चला, जिससे वे बीजों के संरक्षण के लिए प्रेरित हुईं। लहरीबाई को मिलेट्स पर काम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रशंसा भी मिल चुकी है। 12 सितंबर 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में लहरीबाई को वर्ष 2021-22 का ‘पादप जीनोम संरक्षक किसान सम्मान’ प्रदान किया था। लहरीबाई मिलेट्स क्वीन के नाम से प्रसिद्ध हैं।
मिलेट्स के बीज देती हैं फ्री, फसल के बाद लेती हैं वापस
लहरी बाई ने बताया उनके पास 150 प्रकार के मोटे अन्न के बीज संग्रहित हैं। मोटे अन्न की फसल लेने वाले किसानों को वह जितने बीज फ्री देती हैं। फसल उत्पादन के बाद उससे उतने ही बीज वापस ले लेती हैं। प्रदेश के डिंडौरी, मंडला, अनूपपुर व छिंदवाड़ा जिले के 500 किसान उनकी इस पहल में साथ में जुड़ गए हैं। लहरी बाई के साथ आए हीरालाल ने बताया कि एक बार में 16 प्रकार के बीज एक साथ बोए जा सकते हैं। सरकार व अखिल विद्यार्थी परिषद के साथ अब वन अधिकार पट्टा दिलाने के लिए काम किया जाएगा।