गुपचुप तरीके से दूधियों ने बढ़ा दिए दूध के दाम
जबलपुर। भरपूर आवक एवं ठंड में कम खपत के बाद भी एक बार फिर गुपचुप तरीके से दूध के दाम बढ़ गए हैं। दूध व्यापारियों ने बिना कोई कारण बताए गुपचुप तरीके से दूध के दाम 3 रुपए लीटर कर दिए हैं। नवंबर माह में 67 रुपए लीटर मिलने वाला दूध अब 70 रुपए तक पहुंच गया है। उल्लेखनीय है कि जबलपुर से लगे उपनगरीय क्षेत्रों में 15 सौ से अधिक दूध डेयरियां हैं। इसके अलावा समीपी गांवों से भी किसान फेरी लगाकर दूध बेचते हैं। खास बात ये है कि वर्तमान में खली, चुनी, चोकर से लेकर पेट्रोल- डीजल के दाम भी स्थिर हैं। इसके बाद भी दूध डेयरी संचालकों ने मनमानी करते हुए दूध के दाम बढ़ा दिए हैं। पूरे मप्र में जबलपुर ऐसा शहर है जहां दूध के दाम सबसे ज्यादा हैं।
कार्रवाई की मांग
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच का आरोप है कि मिलावट से मुक्ति अभियान कार्य ढुलमुल तरीकों से कराया जा रहा है। गत 3 वर्षों में दूध में मिलावट के 6 दोषियों पर ही एडीएम न्यायालय में प्रकरण चल रहे हैं। वहीं मात्र 7 वेंडरों को आर्थिक दंड दिया गया है। परिणाम स्वरूप जबलपुर में दूध माफिया बेखौफ हैं, मिलावट तथा बढ़े रेट पर जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। इस संबंध में व्यापारी संघ अध्यक्ष मंटा सरदार से लगातार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। वहीं वेंडर नितिन यादव ने बताया कि कई डेयरी संचालकों ने रेट्स बढ़ाए हैं, वे फुटकर कारोबारी हैं और उनके संचालक ने फिलहाल रेट्स नहीं बढ़ाए हैं।
आमजनों पर बढ़ेगा बोझ
दूध के दाम साल में दूसरी बार बढ़ने से इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा। डेयरी संचालक महंगाई का रोना रोकर मनमाने तरीके से दाम बढ़ा रहे हैं। ऐसे में दैनिक उपयोग की वस्तुओं के दाम बढ़ाना भी तय है।
महंगाई बता रहे कारण
डेयरी संचालकों ने फुटकर दुग्ध कारोबारियों को दूध के दाम बढ़ाने की वजह बढ़ती हुई महंगाई बताया है। दाने के दाम से लेकर परिवहन लागत को बढ़ी हुई वजह बताया जा रहा है।
जून में बढ़े थे दाम
इसके पूर्व जून में डेयरी संचालकों ने दूध के दाम बढ़ा दिए थे। उस समय दूध के दाम 67-68 रुपए लीटर कर दिया गया था। उस दौरान प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद दूध के दाम 2 रुपए कम कर दिए गए। ब फिर दूध के दाम बढ़ाने के लिए डेयरी संचालक हठधर्मिता अपना रहे हैं।
पेंशनर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। दूध के रेट्स कम नहीं किए गए तो एसो. आंदोलन को विवश होगा। एचपी उरमलिया, अध्यक्ष पेंशनर्स एसो.।
जनहित में याचिका दायर की गई थी। इसकी मॉनीटरिंग नहीं हुई। कलेक्टर से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है। डॉ. पीजी नाजपांडे, नागरिक उपभोक्ता मंच।