सोने की स्याही से बनाई मिडिल ईस्ट की खास अरेबिक कैलीग्राफी पेंटिंग्स
भोपाल की फरहा खान अरबी सुलेख की लिपियों से करती हैं चित्रकारी
कोहेफिजा इलाके में रहने वाली फरहा खान को बचपन से इतिहास, उर्दू और कला में विशेष रुचि रही है। 2020 में कोरोना के चलते लॉकडाउन के दौरान अरेबिक कैलीग्राफी कला को सीखा और विभिन्न प्रकार के डिजाइन भी बनाए। फरहा मिडिल ईस्ट के देशों में प्रचलित कला को बेहद आकर्षक तरीके से कैनवास पर उकेरती हैं। ज्योमेट्री, टर्किश आर्ट, ईरानी आर्ट की कला उन्होंने अपनी मेहनत से सीखी है। वे विभिन्न आकारों और शैलियों की 100 से अधिक पेंटिंग बना चुकी हैं। उन्होंने बताया कि इसमें काफी सावधानी से काम करना पड़ता है, जिसमें समय भी लगता है। सोने की स्याही से अरबी सुलेख पर लिखे 99 नाम : फरहा ने बताया कि उन्होंने थ्री-डी लुक में अरबी सुलेख पर 99 नाम लिखे हैं। इस पेंटिंग को बनाने में उन्हें 12 दिन लगे। इस प्रकार के सुलेख को फ्री स्टाइल सुलेख कहा जाता है। इस पेंटिंग में एक्रेलिक और सोने की स्याही का इस्तेमाल किया गया है। यह चित्रकारी अहार कागज पर की गई है। थ्री-डी लुक देने के लिए एयरब्रश का भी इस्तेमाल किया गया है।
अरबी अक्षरों से बनाए जानवरों के चेहरे
इस्लामिक संस्कृति में जीवित प्राणियों के चेहरे की विशेषताएं बनाना मना है, यही कारण है कि इस पेंटिंग में अरबी अक्षरों को इस तरह से जोड़ा और लिखा गया है, कि चेहरे की विशेषताएं स्वयं उभर कर सामने आएं। इस प्रकार की कलाकृति को टाइपोग्राफी कहा जाता है। अरबी सुलेख कई लिपियों में लिखा जा सकता है, उदाहरण के लिए, सिलिया, नस्ख, कूफी, दीवानी जाली, मगरिब आदि।
चीनी मिट्टी के बर्तनों पर बनार्इं ईरानी कलाकृतियां
कागज पर सुलेख बनाने के साथ-साथ फरहा चीनी मिट्टी के बर्तनों पर पेंटिंग भी करती हैं, जो सुलेख और ईरानी कलाकृति का एक संयोजन है। इस तरह की सिरेमिक कलाकृतियां भारत में मुश्किल से ही मिलती हैं, लेकिन मध्य पूर्व के देशों में बहुत लोकप्रिय हैं। इस्लामी कला को तीन मुख्य प्रकारों में विभाजित किया गया है, सबसे पहले ज्यामितीय पैटर्न, फिर तुर्की और ईरानी रूप और सबसे ऊपर अरबी सुलेख है।
स्वराज भवन में भी लग अरबी अक्षरों से बनाए चुकी है चित्र प्रदर्शनी
मैं अब अरबी भाषा में मास्टर आॅफ आर्ट्स की पढ़ाई कर रही हूं, ताकि इस विधा के बारे में और जान सकूं। स्वराज भवन में मेरी अरेबिक कैलीग्राफी प्रदर्शनी लग चुकी है। विभिन्न आकारों और शैलियों की 100 से अधिक पेंटिंग बना चुकी हूं। फरहा खान, चित्रकार