मंत्रिमंडल में इंदौर और जबलपुर जैसे महानगरों का सालों से प्रतिनिधित्व नहीं
भोपाल। मध्यप्रदेश के 4 महानगरों में से इंदौर और जबलपुर का मंत्रिमंडल में कई वर्षों से प्रतिनिधित्व नहीं है। भोपाल व ग्वालियर दोनों ही शहरों से शिवराज मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व लगातार बना हुआ है। क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के नाम पर शनिवार को हुए कैबिनेट के ताजा विस्तार में भी ये दोनों शहर उपेक्षित रह गए। मप्र की व्यावसायिक राजधानी इंदौर मंत्रियों के मामले में पिछले 10 साल से खाली हाथ ही है। आखिरी बार यहां से महेंद्र हार्डिया वर्ष 2013 तक मंत्री रहे।
जबलपुर शहर से शिवराज मंत्रिमंडल में 2018 तक शरद जैन स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहे। उनके बाद कांग्रेस की कमल नाथ सरकार में 15 महीने तक शहर से लखन घनघोरिया और तरूण भनोत कैबिनेट मंत्री रहे लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चौथे कार्यकाल में संस्कारधानी को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। तीन साल में मौजूदा सरकार के तीसरे विस्तार के बावजूद क्षेत्रीय संतुलन की गुंजाइश बाकी रह गई। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले हुए कैबिनेट विस्तार के बाद अब मुख्यमंत्री के अलावा मंत्रियों की संख्या 33 हो गई है।
मुख्यमंत्री ने एक पद खाली रखकर यह ऐलान भी किया कर दिया है कि यदि जरूरत पड़ी तो एक और विस्तार करूंगा। हालांकि इंदौर ग्रामीण अंचल से मंत्रिमंडल उषा ठाकुर और तुलसी सिलावट कैबिनेट मंत्री के बतौर शामिल हैं।
महाकोशल, मालवा-निमाड़ अंचल में सीटों का गणित
महाकोशल अंचल की 38 सीटों में से भाजपा की 13 सीटें हैं जबकि यहां से कांग्रेस 24 सीटों पर काबिज है। मालवा-निमाड़ अंचल की 66 सीटों पर भी भाजपा कांग्रेस की तुलना में कमजोर स्थिति में है। भाजपा को 2018 के चुनावी नतीजों के हिसाब से 27 सीटों पर सफलता मिली थी जबकि कांग्रेस के 36 और 3 निर्दलीय प्रत्याशी जीतकर आए थे। उपचुनाव के बाद भाजपा की तीन सीटें बढ़ गईं।
ऐसा है जातीय संतुलन
शिवराज मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण के हिसाब से देखें तो सामान्य वर्ग के 14, ओबीसी 10, अनुसूचित जनजाति से 4 अनुसूचित जाति के 3 और अल्पसंख्यक वर्ग के 2 मंत्री शामिल हैं। सबसे ज्यादा सामान्य वर्ग को स्थान मिला है।
क्षेत्रीय संतुलन: मालवा, महाकोशल और बुंदेलखंड से उठ चुके हैं असंतोष के स्वर
क्षेत्रीय संतुलन के मुद्दे पर पूर्व में मालवा, महाकोशल और बुंदेलखंड से असंतोष के स्वर उठ चुके हैं। इस मुद्दे पर पूर्व सीएम उमा भारती और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई भी सवाल उठा चुके थे। विश्नोई के बयान में तल्खी भी दिखी थी। ताजा विस्तार में बुंदेलखंड और लोधी समाज से राहुल सिंह लोधी को शामिल कर लिया गया है।
मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक मंत्रियों की कुल संख्या 10
मप्र मंत्रिमंडल में अभी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्रियों की संख्या (बिसाहुलाल सिंह सहित) 10 है। 2020 में हुए विधानसभा के उपचुनाव में उनके 15-16 समर्थक जीत कर आए थे। उपचुनाव में सिंधिया समर्थक तीन मंत्री चुनाव हार गए थे उन्हें फिर बाद में निगम-मंडल में पद देकर दर्जा मंत्री का ओहदा दिया गया।