बच्चों में निमोनिया के लिए दी जाने वाली दवाएं बेअसर, गंभीर रोगों का खतरा बढ़ा

बच्चों में निमोनिया के लिए दी जाने वाली दवाएं बेअसर, गंभीर रोगों का खतरा बढ़ा

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के बढ़ते जोखिमों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ गंभीर चिंता जताते रहे हैं। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का मतलब, रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया, फंगस, वायरस उन्हें मारने के लिए बनाई गई दवाओं को बेअसर करने की क्षमता विकसित कर लेते हैं। शोधकर्ताओं ने बच्चों को सामान्य संक्रमण से बचाने वाली दवाइयों के बेअसर होने को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की बढ़ती समस्या से बच्चों में आम संक्रमण के इलाज के लिए दी जाने वाली कई दवाएं भारत समेत दुनिया के कई देशों में प्रभावी नहीं हैं। इस स्थिति में हल्के संक्रमण से भी गंभीर रोग का जोखिम है। एंटीबोयोटिक दवाओं के काम न करने से संक्रमण के शरीर में बढ़ने और आॅर्गन फेलियर तक का खतरा है।

एंटीबायोटिक दवाओं का कम हो रहा है असर

आॅस्ट्रेलिया में सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व वाली टीम ने पाया कि निमोनिया, सेप्सिस (रक्तप्रवाह संक्रमण) और मेनिनजाइटिस जैसे बचपन में होने वाले संक्रमणों के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित कई एंटीबायोटिक दवाएं अब 50 प्रतिशत से भी कम प्रभावी साबित हो रही हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि दवाएं कम प्रभावित होने से बड़ा खतरा है, जिससे बच्चों में गंभीर रोगों के विकसित होने का जोखिम हो सकता है।

एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण हो रही हैं लाखों मौंतें

शोधकर्ताओं ने बताया, दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र एंटीबायोटिक दवाओं के कम होते प्रभावों के सबसे ज्यादा शिकार हैं, यहां हर साल एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण लाखों बच्चों की मौत होती है। डब्ल्यूएचओ ने कहा, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) मानवता के सामने आने वाले शीर्ष 10 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक है। नवजात शिशुओं में, हर साल वैश्विक स्तर पर सेप्सिस के अनुमानित 30 लाख मामले आते हैं, जिसमें 5.7 लाख मौतें हो जाती हैं।

अध्ययन में क्या पता चला?

अध्ययन से इस बात के प्रमाण मिले हैं कि बच्चों में सेप्सिस और मेनिनजाइटिस के लिए कारक माने जाने वाले बैक्टीरिया, इसकी एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी साबित हो रहे हैं। शोध से पता चलता है कि एएमआर के मामलों के एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के खतरे को देखते हुए वैश्विक एंटीबायोटिक दिशानिर्देशों में तत्काल बदलाव की जरूरत है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बोले- दुनियाभर में बढ़ रहे केस

आॅस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी में स्कूल आॅफ पब्लिक हेल्थ और सिडनी इंफेक्शियस डिजीज इंस्टीट्यूट के प्रमुख लेखक डॉ. फोबे विलियम्स कहते हैं कि दुनियाभर में बच्चों में मल्टीड्रग-रेजिस्टेंट बैक्टीरियस इंफेक्शन के मामले बढ़ रहे हैं। इसके बढ़ते खतरों को देखते हुए एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक उपयोग को रोकने और मौजूदा एंटीबायोटिक्स को अपडेट करने की आवश्यकता है। हम बड़े खतरे की तरफ बढ़ रहे हैं, इसके जोखिमों को देखते हुए सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।