मजदूर मां के बच्चे वेब सीरीज में, बेटियों को पढ़ाने मां ने बेटे संग खोला फूड आउटलेट
मां साथ हो तो बच्चे दुनिया की हर जंग जीत ही लेते हैं और जब बच्चे साथ निभाएं तो मां भी जीत जाती है। मां के संघर्ष अनंत हैं और जीवन भर चलते हैं लेकिन बच्चों की खातिर चेहरे पर हमेशा मुस्कान लिए अपने गम भुलाकर मां बच्चों के जीवन में रंग भरने का हर प्रयास करती हैं। भोपाल शहर में भी हमें ऐसी ही माएं मिली जो अपने बच्चों के जीवन को संवारने के लिए प्रयासरत हैं तो वहीं एक बच्चे के सपने के लिए मां ने अपना कॅरियर ही बदल लिया और ऊंचाईयों को छू रही हैं। मदर्स डे पर ऐसी ही मांओं की कहानी साझा कर रहे हैं।
बेटे की बात ने बदला मेरा जीवन
फिटनेस स्टूडियो कर्मा का संचालन कर रहीं पूजा मेहता कहती हैं, एक दिन मेरे बेटे अबीर ने कहा कि मां आपको अपना वजन कम करना चाहिए जबकि मुझे अपने वजन से कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन वो चाहता था कि मैं फिट दिखूं, तो मैंने सोचा कि जिम जाकर वजन करने की बजाए घर में ही करूं और मैंने वेट लॉस पर काम करना शुरू कर दिया। सालभर की मेहनत के बाद मैं 104 किलो से घटाकर वजन 65 तक कर लिया। मैं शहर में बतौर कॅरियर काउंसलर अच्छा काम कर रही थी लेकिन बेटे ने कहा कि क्यों नहीं फिटनेस फील्ड में कुछ करो क्योंकि आपने खुद से अपना मेकओवर किया है। बेटे की वजह से मेरा पूरा कॅरियर प्रोफाइल ही बदल गया और आज मेरे फिटनेस स्टूडियो में100 से ज्यादा महिलाएं वर्कआउट के लिए आती हैं। अब मैं अपने बेटे के लिए भी इसी फील्ड में कॅरियर प्लान कर रही हूं। बेटे ने मेरे लिए एक सपना देखा था जिसे मैं पूरा कर रही हूं।
बच्चों को मजदूरी से बचाने थिएटर से जोड़ा
छाया केवट कहती हैं, मेरे बच्चे बहुत छोटे थे तभी मेरे मेरे पति गुजर गए। मेरे सामने उस समय तो बस यही लक्ष्य था कि किसी तरह मेहनत मजदूरी करके बच्चों का पेट भर लूं, तो मजदूरी करने लगी। मेरे बच्चों को सिंधु मैडम का साथ मिला तो उन्होंने थिएटर करना शुरू किया। मैं मजदूरी करती हूं और मेरे बच्चे नाटक और फिल्मों में आकर मेरा सपना सच कर रहे हैं। मैं हर दिन बच्चों से बात करती हूं कि हमारे पास मेहनत के सिवा कोई और चीज नहीं है और उन्होंने मेरी बात समझी भी। बेटा हर्ष वेबसीरीज में काम कर रहा है और बेटी थिएटर।
बेटे की हिम्मत बढ़ाने साथ कर रहीं काम
मेरे ऊपर छह बेटियों की जिम्मेदारी है क्योंकि मेरे पति सालों पहले हमें छोड़कर चले गए। यह कहना है, पार्वती विश्वकर्मा का। वे कहती हैं, मैं घर-घर जाकर खाना बनाने का काम करने लगी तो कई तरह की चीजें बनाना सीख गई। फिर बेटे ने कहा कि बहनों को पढ़ाना है तो सिर्फ नौकरी से काम नहीं चलेगा। मैंने अपने बेटे का साथ निभाने के लिए उसके कुछ समय पहले शुरू किए फूड आउटलेट की जिम्मेदार उठाई क्योंकि वो अकेला कितना काम कर पाता। हम दोनों मां-बेटे मिलकर अपना सात नंबर स्टॉप पर अपना फूड आउटलेट चला रहे हैं।