भाजपा का गढ़ बनने वाले प्रदेश के कई जिलों को मंत्री मिलने की उम्मीद
भोपाल। विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद प्रदेश में सीएम पद को लेकर असमंजस की स्थिति है। मुख्यमंत्री घोषित किए जाने के बाद मंत्रिमंडल के लिए चर्चाएं होंगी। सूत्रों की मानें तो जिस तरह विधानसभा का पूरा चुनाव केंद्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में लड़ा गया, उसी तरह मंत्रिमंडल के गठन में भी शीर्ष नेतृत्व की राय ही मायने रखेगी। दरअसल चार महीने बाद लोकसभा के चुनाव हैं, इसलिए पार्टी को हर जातीय के साथ क्षेत्रीय संतुलन बनाना होगा। 2020 में उपचुनाव के बाद परिस्थितियां ऐसी बनीं कि कई जिलों में तीन-तीन मंत्री भी बनाने पड़े। अब भाजपा को बंपर बहुमत मिला है। ऐसी स्थिति में भाजपा के गढ़ बनाने वाले जिलों से मंत्रिमंडल में भागीदारी दी जा सकती है। कई जिलों में भाजपा इस बार तो शत प्रतिशत सीटें जीतीं ही, साथ ही पिछले चुनावों में ज्यादातर सीटों पर कब्जा रहा, लेकिन मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका।
कटनी, विदिशा और नर्मदापुरम में भी पार्टी को मिले बंपर वोट
बैतूल: मध्य भारत के बैतूल जिले में इस बार पांचों विधानसभा क्षेत्र मुलताई, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही और आमला पर भाजपा की जीत हुई है। 2018 में भाजपा ने एक और कांग्रेस ने चार सीट जीती थी जबकि 2013 के चुनाव में भी पांचों की पांचों सीट भाजपा को मिली थी। कई वर्षों से यहां से भाजपा ने मंत्री नहीं दिया, ऐसे में बैतूल जिले का मजबूत दावा है।
रतलाम: मालवा के इस बड़े जिले से इस बार चार सीट भाजपा को एक सीट सैलाना भारतीय आदिवासी पार्टी को मिली। 2018 में स्कोर भाजपा-3 और कांग्रेस-2 का था। उससे पहले के चुनाव में 2013 में सभी पांच सीट भाजपा को मिली थीं। लेकिन तब चेतन काश्यप, मथुरालाल डाबर पहली बार के विधायक थे, जबिक डॉ. राजेंद्र पांडेय दूसरी बार के। इस बार ये सभी फिर विजयी हुए हैं।
कटनी: महाकौशल के कटनी जिले की चारों की चार सीट भाजपा के खाते में गई हैं। 2018 में बड़वारा को छोड़ सभी सीटें भाजपा के पास रहीं। इसी तरह 2013 में भी जिले की चार में से तीन सीट भाजपा के पास रहीं। हालांकि विजयराघवगढ़ के विधायक संजय पाठक को 2016 से 2018 तक राज्यमंत्री बनाया गया था। अब उनकी दावेदारी प्रबल है।
देवास: मालवा के देवास जिले का भी मंत्रिमंडल में बड़ा दावा है। इस बार जिले की सभी 5 सीटें भाजपा को मिली। 2018 में सिर्फ सोनकच्छ सीट छोड़कर चारों सीट पर भाजपा का कब्जा था। 2013 में भी यहां पांचों सीट भाजपा के खाते में रही थी। हालांकि तब दीपक जोशी को मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी, लेकिन अब फिर यहां के भाजपा कार्यकर्ता अपने जिले को मंत्री मिलने को आशान्वित हैं।
नर्मदापुरम: मध्यभारत का यह जिला भाजपा का ऐसा गढ़ है जहां 2008 से सभी चारों सीट भाजपा के खाते में रही है। 2013 और 2018 के अलावा 2023 में सिवनी मालवा, होशांगाबाद, सोहागपुर और पिपरिया सीट पर भाजपा विजयी होते रहे हैं। हालांकि सिवनी मालवा के विधायक रहे सरताज सिंह 2009 से 2016 तक मंत्री रहे थे। लेकिन सात साल से क्षेत्र को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला।
विदिशा: मध्य भारत के विदिशा में इस बार सभी 5 सीट भाजपा को मिली हैं। 2018 में सिर्फ विदिशा सीट को छोड़कर बासौदा, कुरवाई, सिरोंज और शमशाबाद भाजपा को मिली थीं। 2013 के चुनाव में यहां भाजपा- कांग्रेस को बराबर सीटें मिली थीं।
जबलपुर: इस चुनाव में भाजपा की सात सीटें भाजपा को मिली, सिर्फ एक कांग्रेस को। 2018 में भाजपा- कांग्रेस की हिस्सेदारी आधी-आधी थी। कमलनाथ सरकार में यहां से दो मंत्री थे, लेकिन भाजपा की सरकार बनने पर इस बड़े शहर से कोई मंत्री नहीं बना। जबलपुर को फिर मंत्री मिलने की उम्मीद है।