पुरुष अधिकार देने का अधिकारी नहीं है, स्त्री को सब कुछ प्रकृति ने दिया है, वो स्वयं अर्जित है
हमारे यहां पंचकन्या हैं, अहिल्या, द्रौपदी, तारा, कुंती और मंदोदरी, जिनका हम सदैव स्मरण करते हैं। जो कनक (सोने) की तरह बार-बार चमकती हैं। इन्हें लेकर समाज में बहुत सारे भ्रम फैले हुए हैं, उन्हें दूर करने की आवश्यकता है। इन पंच कन्याओं के बारे से ठीक से पढ़ेंगे तो बहुत से भ्रम दूर हो जाएंगे। यह कहना था, पद्म भूषण नृत्यांगना एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सोनल मानसिंह का। वे रवींद्र भवन में राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका विषय पर बोल रहीं थी। मौका था, भारतीय विचार संस्थान न्यास की ओर से रवींद्र भवन, भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला का। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय कथक नृत्यांगना अनुराधा सिंह ने की। डॉ. सोनल मानसिंह ने रानी दुर्गावती, रानी चेन्नमा, रानी लक्ष्मीबाई सहित कई वीरांगनाओं के उदाहरण देकर उनके योगदान की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने चंद्रयान और मंगलयान में महिला वैज्ञानिकों की भूमिका का भी उल्लेख किया।
बच्चों को सुनाएं वीरांगनाओं की कहानियां : अनुराधा सिंह
डॉ. सोनल ने कहा कि स्त्री की अलग- अलग भूमिकाएं होती हैं, जिनमें उनके अलग-अलग दायित्व हैं। हमारे यहां तो वर्ष के सभी 365 दिन मातृशक्ति को समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि भारत की बेटियां आज थलसेना, जलसेना और वायुसेना में अग्रणी भूमिका निभा रहीं हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में अंतर्राष्ट्रीय कथक नृत्यांगना अनुराधा सिंह ने कहा कि हमारे बच्चों को वीरांगनाओं के पराक्रम की कहानियां सुनानी चाहिए ताकि मातृशक्ति के प्रति उनके मन में गौरव के भाव का जन्म ले। महिलाओं की भूमिका और उनके योगदान से बच्चों को परिचित कराया जाए तो वे आगे चल कर महिलाओं के काम की सराहना करेंगे। पुरुषों को आगे बढ़कर महिलाओं को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग करना चाहिए। मातृशक्ति को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों में क्या हुनर है, उसी के अनुरूप उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। हम परिवार को संभालकर चलेंगे तो हर परिस्थिति में परिवार हमारे साथ खड़ा रहेगा, जो हमारा साहस बनेगा।हैं।
सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य का लेक्चर आज
व्याख्यानमाला में 18 दिसंबर को चाणक्य फोरम, दिल्ली के प्रधान संपादक एवं सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य भारत, कल, आज और कल विषय पर वक्तव्य देंगे। अध्यक्षता रिलायंस इंडस्ट्रीज के मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के राज्य समन्वयक नितिन चंदसोरिया करेंगे। कार्यक्रम का आयोजन रवींद्र भवन शाम 5:30 बजे से होगा।
ग्रह-उपग्रह के नाम भी स्त्री के आधार पर हैं
डॉ. सोनल मानसिंह ने संसद में पारित किए गए मातृशक्ति वंदन विधेयक का भी उल्लेख किया। उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या पुरुष अधिकार देने का अधिकारी है, उन्होंने कहा कि अधिकार स्वयं अर्जित है। प्रकृति ने हमें दिया है। हमारी जो पृथ्वी है वह एक परिवार की तरह है, जिसमें सम्पूर्ण प्रकृति है। वसुधैव कुटुंबकम का यह उदात्त विचार भारतीय संस्कृति ने दिया है। पृथ्वी ऐश्वर्य से परिपूर्ण है। पृथ्वी स्त्री शक्ति को दर्शाती है। ब्रह्मांड के ज्यादातर ग्रह एवं उपग्रहों के नाम भी स्त्री के आधार पर हैं। उन्होंने कहा कि हमें सबसे पहले स्वधर्म को जानना पड़ेगा, तो स्वत: महिलाओं को उनके अधिकार नैसर्गिक रूप से मिलेंगे और मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
स्त्री की भूमिका पर लिखी किताब का विमोचन
इस अवसर पर महिलाओं की विभिन्न भूमिकाओं पर केंद्रित पुस्तक मातृशक्ति का विमोचन किया गया। पुस्तक का लेखन सुशीला अभ्यंकर एवं डॉ. गीता काटे ने किया है। यह पुस्तक अर्चना प्रकाशन, भोपाल से प्रकाशित है।