मालवा को मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री का ताज, इंदौर को अब मंत्रिमंडल से आस
इंदौर भाजपा आलाकमान के लंबे चिंतन और मंथन के बाद मध्यप्रदेश को आखिरकार अपना नया मुख्यमंत्री मिल गया। सोमवार को आयोजित की गई भाजपा विधायक दल की बैठक में भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए गुजरात फॉर्मूला के तर्ज पर डॉक्टर मोहन यादव के नाम पर मुहर लगा दी। मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं और शिवराज सरकार में शिक्षामंत्री रह चुके हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथसाथ प्रदेश में दो उपमुख्यमंत्रियों के नाम की भी घोषणा की गई है। रीवा से विधायक और मंत्री राजेंद्र शुक्ल और मल्हारगढ़ विधानसभा से विधायक और मंत्री जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा दोनों ही मालवा-निमाड़ क्षेत्र से आते हैं।
विधानसभा चुनावों में भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले मालवा में भाजपा ने कांग्रेस का सफाया कर दिया था और उपहार स्वरूप क्षेत्र को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पद दिया गया है, लेकिन इसी के साथ प्रदेश की औद्योगिक राजधानी और मालवा का केंद्र माने जाने वाले इंदौर के हाथ एक बार फिर खाली रह गए हैं। भाजपा ने इंदौर जिले की सभी 9 सीटों पर क्लीन स्वीप कर दिया था, जिसके बाद से ही इंदौर 1 से विधायक कैलाश विजयवर्गीय का नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में तेजी से लिया जा रहा था, लेकिन भाजपा विधायक दल की बैठक में डॉक्टर मोहन यादव के नाम पर मुहर लगी।
इंदौर की तरह देवास जिले को भी मंत्रिमंडल से आस
भाजपा ने इंदौर की तरह देवास जिले में भी क्लीन स्वीप कर सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी... ऐसे में देवास जिले में भी मंत्री पद की मांग उठने लगी है। देवास जिले की सोनकच्छ विधानसभा से विधायक राजेश सोनकर का नाम सबसे आगे चल रहा है। उन्हें दलित कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है तो वहीं खातेगांव से लगातार तीन बार के विधायक आशीष शर्मा का दावा भी मजबूत माना जा रहा है। इन दोनों विधायक कांग्रेस के कद्दावर नेताओं को हराकर विधानसभा पहुंचे हैं।
इंदौर को अब मंत्रिमंडल के गठन का इंतजार
मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होने के साथ ही शहर अब मंत्रिमंडल के गठन का इंतजार कर रहा है। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पद न मिलने के बाद इंदौर को अब मंत्रिमंडल की ही आस है। पिछले दो चुनावों से इंदौर शहर से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। इंदौर के कोटे से मंत्री बनाए गए तुलसीराम सिलावट और उषा ठाकुर दोनों ही इंदौर ग्रामीण से विधायक हैं... ऐसे में शहर की पांचों सीट भाजपा की झोली में डालने के बाद इंदौर की जनता अब मंत्रिमंडल में अपने विधायकों को देखना चाहती है। इंदौर शहर से आखिरी बार महेंद्र हार्डिया को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। हार्डिया 2008 में शिवराजसिंह सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं, लेकिन उसके बाद से ही इंदौर शहर को कोई भी मंत्री पद नहीं मिला है।
इंदौर जिले के कई दिग्गज मंत्री पद के दावेदार
इंदौर जिले की सभी 9 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद से ही भाजपा नेताओं के हौसले बुलंद है और उसी के साथ ही तमाम विधायक मंत्री पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं। इंदौर विधानसभा-1 से विधायक कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर विधानसभा 2 से विधायक रमेश मेंदोला और इंदौर विधानसभा 4 से विधायक मालिनी गौड़ मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं, साथ ही इंदौर ग्रामीण की बात करें तो ग्रामीण की सभी 4 सीटों पर भाजपा विधायक मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। तुलसीराम सिलावट और उषा ठाकुर निवर्तमान कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं, लेकिन जिस तरह मुख्यमंत्री पद के भाजपा ने चौंकाने वाला नाम आगे किया, उससे यह संभावना जताई जा रही है कि भाजपा गुजरात के तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी मंत्रिमंडल में भी सर्जिकल स्ट्राइक कर सकती है और कई नए और चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं।