CBI की शक्तियां बताने के लिए नया कानून बनाएं

CBI की शक्तियां बताने के लिए नया कानून बनाएं

नई दिल्ली। कई राज्यों द्वारा सीबीआई जांच के लिए सामान्य सहमति वापस लेने का उल्लेख करते हुए एक संसदीय समिति ने कहा है कि संघीय जांच एजेंसी को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून की कई सीमाएं हैं और इसकी स्थिति, कार्यों और शक्तियों को परिभाषित करने के लिए एक नया कानून बनाने की आवश्यकता है। संघीय जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की स्थापना 1963 में हुई थी। यह दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापन (डीएसपीई) अधिनियम से संचालित होती है। संसद की कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि सीबीआई द्वारा किसी भी जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति पूर्व शर्त है और अब तक नौ राज्य सामान्य सहमति वापस ले चुके हैं। उसने कहा, समिति का मानना है कि दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापन अधिनियम में अनेक सीमाएं हैं और इसलिए वह सिफारिश करती है कि एक नया कानून बनाना और सीबीआई के कार्यों एवं अधिकारों को परिभाषित करना जरूरी है। समिति ने कहा कि सीबीआई में खाली पदों को जरूरी गति से नहीं भरा जा रहा। उसने सिफारिश की है कि रिक्तियों को जल्द से जल्द भरने के लिए समस्त प्रयास किए जाने चाहिए। सीबीआई में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 7,295 है और कुल 1,709 पद खाली हैं। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि सीबीआई निदेशक को रिक्तियों को भरने में हुई प्रगति पर तिमाही आधार पर निगरानी रखनी चाहिए और जरूरी कदम उठाने चाहिए ताकि संगठन में पर्याप्त कर्मी हों।

अब तक छत्तीसगढ़, बंगाल सहित 9 राज्य वापस ले चुके हैं सहमति

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि नौ राज्यों ने मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है। उन्होंने राज्यसभा को सूचित किया कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 की धारा 6 के अनुसार, सीबीआई को राज्य सरकार से उसके अधिकार क्षेत्र में जांच करने के लिए सहमति की आवश्यकता होती है। डीएसपीई अधिनियम, 1946 की धारा 6 के अनुसार, राज्य सरकारों द्वारा निर्दिष्ट श्रेणियों के व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों के निर्दिष्ट वर्ग की जांच के लिए सीबीआई को एक सामान्य सहमति दी गई थी, जिससे एजेंसी उन निर्दिष्ट मामलों को दर्ज करने और जांच करने में सक्षम हुई थी। नौ राज्यों - छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ने मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है।