भक्तों की मनोकामना पूरी करने नाव पर सवार होकर आ रहीं मां भगवती

भक्तों की मनोकामना पूरी करने नाव पर सवार होकर आ रहीं मां भगवती

जबलपुर। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर मां भगवती नाव पर सवार होकर आ रही है। इसे देवी दुर्गा जी का शुभ वाहन माना जाता है। कहते हैं जब पृथ्वी पर माता नाव की सवारी कर आती हैं तो भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। 9 दिन में किए हर काम में सफलता मिलती है। माता जी की सवारी वार पर निर्भर करती है चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी 22 मार्च को बुधवार है, बुधवार पर मां का आगमन नौका पर होता है। नाव के अलावा मां अंबे का डोली, सिंह, घोड़ा, हाथी भी वाहन हैं।

इस दौरान जो देवी जी की सच्चे मन से भक्ति करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है। मान्यता है कि जो साधक नियम का पालन करते हुए 9 दिन तक, नवचंडी पाठ, देवी जी के मंत्रों का जाप और 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' रोजाना जाप करता है, उसे शत्रु और ग्रह बाधा की पीड़ा से मुक्ति मिलती है, कार्य बिना रुकावट पूरे होते हैं। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 29 मार्च को है, वहीं नवमी तिथि 30 मार्च को है, इन दोनों दिनों में कन्या पूजन किया जाता है। कहते हैं इसके बिना 9 दिन की पूजा अधूरी मानी जाती है।

चैत्र नवरात्र पर्व पर तिथिवार 9 दिन होगी मां की आराधना

हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से 9 दिन तक चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है. इस साल 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरू होगी और 30 मार्च को इसकी समाप्ति होगी। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च को रात 10.52 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन 22 मार्च को रात 8.20 मिनट पर रहेगी। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना कर देवी की पूजा शुरू की जाती है. इस साल कलश स्थापना (घटस्थापना) के लिए 22 मार्च को सुबह 06 बजकर 29 से सुबह 7 बजकर 39 तक का उत्तम मुहूर्त है। घटस्थापना के लिए साधक को 1 घंटे 10 मिनट तक का समय मिलेगा। मान्यता है कि नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा पृथ्वी पर निवास करती हैं। चैत्र नवरात्रि में 22 मार्च को मां शैलपुत्री, 23 को मां ब्रह्मचारिणी, 24 को मां चंद्रघंटा, 25 को मां कुष्मांडा, 26 को मां स्कंदमाता, 27 को मां कात्यायनी, 28 को मां कालरात्रि, 29 को मां महागौरी, 30 को मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी। 31 मार्च को चैत्र नवरात्रि व्रत का पारण होगा।