निजी लैब में हो रही एमवाय ओपीडी मरीजों की जांच, उसी दिन वाट्सएप पर मिल रही रिपोर्ट
इंदौर। एमवाय अस्पताल में अब मरीजों को जांच के लिए यहां-वहां नहीं भटकना पड़ेगाा, बल्कि जांच के बाद उसी दिन मोबाइल पर रिपोर्ट मिल सकेगी। एमवाय अस्पताल में निजी लैब के आते ही बदलाव दिखाई देने लगे हैं। एमजीएम से संबद्ध अस्पताल जैसे शा. कैंसर अस्पताल, चाचा नेहरू अस्पताल, आई सेंटर के मरीजों की होने वाली विभिन्न लैब जांच की जिम्मेदारी अब निजी लैब को देने से मरीज को उसी दिन घर बैठे मोबाइल पर रिपोर्ट मिल रही है। निजी कंपनी किट सप्लाई, मशीन उपलब्ध कराने के साथ रिपोर्ट तैयार कर रही है। निजी लैब और चिकित्सा शिक्षा के तहत आने वाले मेडिकल कॉलेज की जांच के बीच एमओयू हुआ है।
यह एमओयू किन शर्तों पर, कितने करोड़ में हुआ, इसमें किसे लाभ और किसे घाटा है यह बात अलग है, लेकिन शुरुआत में इससे मरीजों को फायदा मिलता दिख रहा है। करीब 15 दिनों से निजी लैब के अधीन जांचें हो रही हैं। सिस्टम इस तरह से बनाया गया है कि अब इसमें किसी भी प्रकार की धांधली नहीं हो सकेगी। अगर एमवायएच और संबद्ध अस्पतालों का कोई डॉक्टर या स्टाफ बिना ओपीडी पर्ची और बिना संबंधित डॉक्टर के जांच लिखे बगैर जांचें नहीं करा सकेंगे। इसके पूर्व इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी और व्यवस्था थी भी तो इसमें कई कमियां थीं, जिसका फायदा ऐसे लोगों को मिल जाता था। फिलहाल 450 प्रकार की जांचें हो रही हैं।
अब समय पर मिल रही जांच रिपोर्ट
निजी कंपनी किट सप्लाई, मशीन उपलब्ध कराने के साथ रिपोर्ट तैयार करने के काम कर रही है। वहीं टेस्ट लगाने का काम और रिपोर्ट देखने और उस पर साइन का काम एमजीएम मेडिकल कॉलेज के लैब टैक्निशियन, ट्रेनी, अन्य स्टाफ और डाक्टर्स कर रहे हैं। वर्तमान में सुबह मरीज द्वारा सैंपल दिए जाने के बाद रात को वाट्सएप पर मरीज को रिपोर्ट मिल रही है। वहीं इसके पूर्व मरीज या परिजन को दूसरे दिन रिपोर्ट मिलती थी। फिलहाल मरीज को इसका फायदा मिलता दिख रहा है। वहीं लैब टेक्निशियन का भी कहना है कि किट और केमिकल आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। पूर्व में इस सबके लिए परेशान होना पड़ता था।
ओपीडी मरीजों की हो रही जांचें
वर्तमान में उक्त सुविधा केवल ओपीडी में आने वाले मरीज को मिल रही है। इनडोर मरीजों की जांच एमवायएच और एमजीएम मेडिकल कॉलेज में हो रही है। बायोकेम्ोस्ट्री, पैथालॉजी, माइक्रोबायलॉजी की लगभग सभी जांचें निजी लैब द्वारा शुरू कर दी गई है। केवल हिस्टोपैथालॉजी की जांच, कोविड, डेंगू का एलाइजा टेस्ट एमजीएम मेडिकल कॉलेज में हो रहा है। जानकारी के मुताबिक लैब के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में जो जगह दी है, वो कम है। इस कारण नई मशीन नहीं आ रही है। जगह मिलने के बाद नई मशीन आने के बाद अन्य जांचें भी शुरू हो जाएंगी। वर्तमान में एमवायएच, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, कैंसर अस्पताल, आई सेंटर से यहां जांच के लिए सैंपल आ रहे हैं। एमटीएच अस्पताल के सैंपल नहीं आ रहे हैं, उनकी जांच वहीं हो हो रही है।
अस्पताल का हो रहा निजीकरण
निजी लैब को जिम्मेदारी सौंपना का पूर्व में विरोध हुआ था, लेकिन फिलहाल सभी शांत है, क्योंकि एमओयू भोपाल स्तर पर हुआ। एमवायएच और संबद्ध अस्पताल का धीरे-धीरे निजीकरण हो रहा है। पूर्व में सभी चतुर्थ श्रेणी स्टाफ शासकीय होता था, वर्तमान में भर्ती ही नहीं हो रही है। पूरी जिम्मेदारी निजी कंपनियों को सौंप रखी है। इसी प्रकार कम्प्यूटर ऑपरेटिंग का जिम्मा, लिफ्ट संचालन, लांड्री संचालन, सुरक्षा व्यवस्था निजी हाथों में सौंप दी है। अस्पताल सूत्रों का दावा है कि आने वाले दिनों में पैरामेडिकल स्टाफ भी निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा, जिस तरह से बीमा अस्पताल में हुआ था।
निजी लैब के पास स्टाफ की कमी
जानकारी के मुताबिक वर्तमान में करीब दो हजार सैंपल एसएसएच स्थित निजी सेंटर में आ रहे हैं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज का स्टाफ और डॉक्टर्स तो पर्याप्त है, लेकिन निजी लैब का स्टाफ कम है। इसके कारण दिक्कत आ रही है। वहीं सभी रिपोर्ट पर डॉक्टर्स की साइन अनिवार्य है। पूर्व में ऐसा नहीं होता था, इसलिए अब डॉक्टर्स को भी ड्यूटी टाइम का पूरा समय देना पड़ रहा है। साथ ही उन्होंने प्रतिदिन कितनी रिपोर्ट देखी, यह उनकी साइन से जानकारी मिल जाती है।