सांसदों पर 15 से 20 हजार वोट कवर करने के साथ करीबी सीटें जितवाने की भी चुनौती

लोकसभा टू विधानसभा : सीधी और नरसिंहपुर विधानसभा में थी भाजपा की लीड

सांसदों पर 15 से 20 हजार वोट कवर करने के साथ करीबी सीटें जितवाने की भी चुनौती

भोपाल। लोकसभा में जीत का परचम फहराने वाले प्रदेश के सात भाजपा सांसदों को अब विधानसभा चुनाव में जमावट करनी है। इनमें से ज्यादातर अब तक लोकसभा का चुनाव ही लड़ते आए हैं। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद गणेश सिंह, राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह और रीति पाठक को विधानसभा क्षेत्र जीतने का टास्क दिया है। दो सांसदों को ऐसे विधानसभा क्षेत्र मिले हैं, जहां भाजपा को पिछले चुनाव में जीत मिली थी। पांच सांसदों को विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पिछले चुनाव में हार के अंतर को कवर करना होगा। ये ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां पार्टी को 15 से 20 हजार के अंतर से सीट गंवानी पड़ी थी। हालांकि कुछ सीटों पर हार का अंतर इससे कम भी रहा है, लेकिन आने वाले चुनाव में जीत के अंतर का लक्ष्य बड़ा रखने को कहा गया है।

नवास’ की हार सबसे बड़ी निवास : फग्गन सिंह कुलस्ते

मंडला जिले की इस विधानसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के डॉ. अशोक मर्सकोले विधायक हैं। 2018 के चुनाव में इन्होंने भाजपा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते के भाई रामप्यारे कुलस्ते को 28,315 वोटों से हराया था। कुलस्ते पर अपनी सीट जीतने के अलावा बिछिया सीट जिताने की जिम्मेदारी रहेगी। जिले की विधानसभाएं : भाजपा-1, कांग्रेस-

बसपा-कांग्रेस दोनों मजबूत दिमनी : नरेंद्र सिंह तोमर

मुरैना जिले की इस सीट पर भाजपा को कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ेगा। बीते चुनाव में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने भाजपा के शिवमंगल सिंह तोमर को 18,477 वोटों से हराया था। दंडोतिया के इस्तीफा देकर भाजपा जॉइन करने पर 2020 के उप चुनाव में भाजपा को हार मिली थी। Ñजिले की विधानसभाएं : भाजपा-1, कांग्रेस-5

3 सीटें जितवाने का रहेगा टास्क जबलपुर पश्चिम : राकेश सिंह

यह सीट दोनों दलों के लिए अहम है। यहां से 2013 से कांग्रेस के तरुण भनोत विधायक हैं। भनोत कमलनाथ सरकार में वित्त मंत्री रहे। पिछले विस चुनाव में उन्होंने भाजपा के हरजिंदर सिंह बब्बू को 18,683 वोटों से हराया था। सांसद राकेश सिंह पर यह सीट जीतने के साथ ही अन्य 3 सीट जितवाने का टास्क रहेगा। जिले की विधानसभाएं : भाजपा-4, कांग्रेस-

सतना में मिलेगी कड़ी चुनौती सतना : गणेश सिंह

सतना जिले की इस सीट पर कांग्रेस के सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा विधायक हैं। पिछले चुनाव में कुशवाहा ने भाजपा के शंकरलाल तिवारी को 12,558 वोटों से हराया था। हालांकि, 2022 के नगर निगम चुनाव में कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ा था। फिर भी गणेश सिंह के लिए चुनौती तो रहेगी। जिले की विधानसभाएं : भाजपा-4, कांग्रेस-

यहां जीत बरकरार रखने का दबाव सीधी : रीति पाठक

सीधी से विधायक केदारनाथ शुक्ला के स्थान पर सांसद रीति पाठक को प्रत्याशी बनाया गया है। शुक्ला ने 2018 में कांग्रेस के कमलेश्वर प्रसाद द्विवेदी को 19,986 वोटों से हराया था। हालांकि, शुक्ला के प्रतिनिधि द्वारा पेशाबकांड करने से सीधी और आसपास के इलाकों में भाजपा की छवि डैमेज हो सकती है। जिले की विधानसभाएं : भाजपा-2, कांग्रेस-

लगातार चौथी बार जीत की चुनौती गाडरवारा : उदय प्रताप सिंह

इस सीट से कांग्रेस की सुनीता पटेल विधायक है। 2018 के चुनाव में सुनीता ने भाजपा के गौतम सिंह पटेल को 15,363 वोटों से हराया था। इस सीट पर 2013 में भाजपा के गोविंद सिंह पटेल विजयी हुए थे। पार्टी नेता मानते हैं कि तीन बार के सांसद राव उदय प्रताप सिंह इस अंतर को कवर कर सकते हैं। जिले की विधानसभाएं : भाजपा-1, कांग्रेस-

जीत दोहराने का रहेगा दबाव नरसिंहपुर :

प्रहलाद पटेल नरसिंहपुर विस क्षेत्र से भाजपा के जालम सिंह पटेल ने कांग्रेस के लाखन सिंह को हराकर 14,903 वोटों से जीत हासिल की थी। 2013 के चुनाव में भी जालम ने 48,481 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। अब प्रहलाद पटेल को ऐसी जीत दोहराने और आसपास की सीटें जिताने का दबाव भी रहेगा।

अनुभवी और संघर्षशील नेतृत्व के मैदान में होने का लाभ मिलेगा

ये भाजपा की ताकत है कि हमने 39 के बाद 39 और आज एक अन्य सीट पर भी उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। मप्र के चारों कोनों में हमारे वरिष्ठ नेतृत्व मुस्तैद हैं। भाजपा के अनुभवी और संघर्षशील नेतृत्व, जिनके काम कोे अपनी अथक मेहनत से मप्र में खड़ा किया है, वे मैदान में हैं। उनके अनुभव का लाभ मिलेगा। हमने नई ऊर्जा के साथ नौजवानों को भी अवसर दिए हैं। -विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष