30 नवंबर तक एमआईसी को मिलना थी बजट की कॉपी, नहीं मिली, अधिकारियों के पाले में गेंद

30 नवंबर तक एमआईसी को मिलना थी बजट की कॉपी, नहीं मिली, अधिकारियों के पाले में गेंद

ग्वालियर। वित्तीय संकट से जूझ रही निगम में वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट को लेकर विभागीय कसरत लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन 30 नवंबर को एमआईसी के सामने बजट की कॉपी पहुंचने की समय सीमा 34 दिन गुजरने पर भी प्रस्ताव नहीं पहुंचा है। जानकारों की मानें तो कि खुद मेयर डॉ. शोभा सिकरवार ने बुधवार की शाम निगम मुख्यालय पर अपर आयुक्त वित्त रजनी शुक्ला को बुलाकर स्थिति पूछी है। जिसमें निगमायुक्त हर्ष सिंह के पास से कॉपी न आने का हवाला दिया गया है।

नगर निगम अधिकारियों के अनुसार बजट के लिए सभी वरिष्ठों से उनके हेड में होने वाले खर्च की आवश्यकता देख प्रस्ताव तैयार किया गया है, जो चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 की राशि 2100 करोड़ को पेश किया गया था, जो आने वाले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1000 करोड़ रुपये ज्यादा होकर लगभग 3100 करोड़ बजट पेश होने की संभावना है। जानकारों की मानें तो मेयर बजट पर आमजन की राय जानना चाहें तो जब एमआईसी में बजट पर चर्चा चल रही हो, तो उसी दौरान पब्लिक की तरफ से यदि कोई राय आती है तो उसे भी बजट में शामिल कर सकते हैं। मेयर अपने स्तर पर शहर के प्रबुद्धजनों की बैठक बुला सकते हैं, जिसमें रायशुमारी में जो निचोड़ निकलकर आए उसे एमआईसी में बजट पर चर्चा के दौरान शामिल किया जा सकता है, लेकिन बजट के लेट होने से हमेशा ही ऐसी संभावनाएं नहीं बन सकी हैं।

कभी नहीं पहुंचा 15 तक परिषद में 

नियमानुसार 30 नवंबर तक एमआईसी में बजट पेश होता है। -मार्च के अंत तक बजट में संशोधन उपरांत पेश किया जाता है। -अब तक कभी भी 15 जनवरी तक बजट परिषद में नहीं पहुंचा है।

कैसे होता संशोधन 

परिषद में बजट पेश होने के बाद यदि कोई संशोधन होना है तो परिषद दोबारा बजट को एमआईसी में भेज सकती है। ऐसे में संशोधन के बाद फिर से बजट परिषद में भेजा जाता है। -निगम परिषद में बजट संशोधन की व्यवस्था है, ऐसे में अक्सर होता यह है कि परिषद जो संशोधन करती है उसे वहीं नोट करके संशोधन कर दिया जाता है और बजट पारित हो जाता है।

पार्षदों से होगी रायशुमारी

निगम ने बजट पर जनता से सीधे राय लेने की कोई व्यवस्था नहीं की है। निगम का मानना है कि बजट परिषद में पेश होगा, जहां 66 वार्डों के पार्षद मौजूद रहेंगे। सभी पार्षद अपने क्षेत्र की समस्याओं एवं आवश्यकताओं को भली भांति जानते हैं, ऐसे में उनकी राय को पब्लिक की राय माना जाएगा।