नए सीएम के सामने लोकसभा चुनाव, योजनाओं का क्रियान्वयन बड़ी चुनौती
भोपाल। प्रदेश की बागडोर अब डॉ. मोहन यादव के हाथ में हैं। तीन बार के विधायक और पिछली सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे डॉ. यादव का नाम न केवल आम लोगों बल्कि भाजपा के दिग्गजों को भी चौंकाने वाला था। नए मुख्यमंत्री के सामने क इर् चुनौतियां हैं जिन्हे स्वीकार करते हुए उन्हें शीर्ष नेतृत्व की पसंद को प्रदेश के लगभग आठ करोड़ लोगों के सामने साबित करना होगा। सरकार और संगठन में चुनौतियों से निपटने के लिए वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन, विशेषज्ञों की सलाह और अफसरों की पूरी फौज मौजूद है। इन सबके सहयोग से मुख्यमंत्री चुनौतियों पर फतह प्राप्त कर सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नए मुख्यमंत्री को तीन तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। दरअसल प्रदेश में लंबे समय तक भाजपा सरकार होने और केंद्र की भी अनेक घोषणाओं के चलते उन्हें पूरी करना बड़ी जिम्मेदारी होगी। इनमें लाड़ली बहना योजना अहम है। भाजपा इसमें पैसे बढ़ाने की घोषणा कर चुकी है।
डॉ. मोहन यादव के सामने ये तीन तरह की चुनौतियां
राजनीतिक: लगभग चार महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव मुख्यमंत्री डॉ. यादव के लिए सबसे बड़ी परीक्षा की घड़ी होगी। विधानसभा चुनाव में जिस तरह का जनादेश भाजपा को मिला है, केंद्र का लक्ष्य इससे बेहतर परिणामों का है। प्रदेश की एकमात्र लोकसभा सीट छिंदवाड़ा कांग्रेस के पास है। इसे जीतकर मुख्यमंत्री केंद्र को बड़ा तोहफा दे सकते हैं।
प्रदेश में वरिष्ठ नेता विधायक चुनकर आए हैं। कई विधायक वरिष्ठ हैं। उनके साथ तालमेल और सम्मान के साथ अपेक्षाओं को उचित रूप से समाधान करना भी चुनौती होगी।
प्रशासनिक: प्रदेश में चल रहे कल्याणकारी योजनाओं का समुचित क्रियान्वयन मुख्यमंत्री की पहली प्राथमिकताएं मानी जा रही हैं। हर विभाग के अफसरों को इसके लिए खास तौर से ताकीद किया जा सकता है। लाड़ली बहना योजना का प्रेशर भी उनके ऊपर रहेगा।
नए मुख्यमंत्री लंबे समय से उज्जैन के विधायक और पिछली सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे हैं। प्रदेश के अफसरों को वे भलीभांति जानते हैं। ऐसे में अफसरों का चयन और तालमेल से बेहतर परिणाम दे सकेंगे।
वित्तीय: केंद्र सरकार और राज्य सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं प्रदेश में चल रही हैं। इन योजनाओं के लिए समुचित वित्तीय प्रबंधन मुख्यमंत्री और सरकार की जिम्मेदारी होगी। किसानों को धान पर करीब 3100 रु. और गेहूं पर लगभग 2700 रु. एमएसपी देना बड़ी घोषणा हैं।
भाजपा ने लाड़ली बहना योजना की राशि बढ़ाकर तीन हजार रुपए तक करने की बात भी कही है। इस योजना की हितग्राहियों को उम्मीद रहेगी। लोकसभा चुनाव से पहले यह राशि नहीं बढ़ती है तो नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
एक्सपर्ट कमेंट
जब भी किसी लीडर को सीएम जैसी बड़ी जिम्मेदारी मिलती है तो कुछ चुनौतियां तो रहती ही हैं। जहां तक वरिष्ठ नेताओं से तालमेल की बात है तो कुछ नेताओं को कैबिनेट में आने पर संतुलन बन जाएगा। पहले भी कई सीएम हुए हैं जिनके सीनियर नेता उनके कैबिनेट में रहे हैं। जहां तक छवि की बात है तो मेरे विचार से नए मुख्यमंत्री को अपनी शैली विकसित करनी चाहिए। -गिरिजा शंकर, वरिष्ठ पत्रकार