संभागायुक्त के निर्देश के बाद भी धर्मशाला पर लटका ताला
ग्वालियर। जेएएच के जिम्मेदारों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह संभागायुक्त के निर्देश को भी सीरियस नहीं ले रहे हैं और उनकी मनमानी जारी है। इनकी मनमानी की वजह से परिजन अस्पताल परिसर में रात ठिठुरते हुए गुजारने को मजबूर हैं, दूसरी ओर जीआरएमसी के अधीन आने वाले इस अस्पताल के अधिकारी रैन बसेरा के 32 कमरे खोलने को लेकर जिम्मेदार कोई फैसला नहीं ले पाए हैं जबकि संभागायुक्त श्री सिंह ने तत्काल इन्हें खोलने के निर्देश अस्पताल अधीक्षक को दिए थे।
पता नहीं सर्द भरी रातों में ठिठुरते परिजनों को कब तक इसकी सुविधा मिल पाएगी, क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले इस धर्मशाला में अस्पताल के स्टाफ द्वारा शराब पार्टी के सबूत मिले थे तब प्रबंधन ने इस पर ताला लगवा दिया था, अब देखना यह है कि सर्दी का सीजन खत्म होने तक यह धर्मशाला शुरू हो पाती है कि नहीं। संभाग आयुक्त श्री सिंह ने निर्देश दिए कि हजार बिस्तर के अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए धर्मशाला में जो रूम बने हुए हैं उनके लिए 16 कमरे जिला रेडक्रॉस सोसायटी व इतने ही कमरों में फर्नीचर सहित अन्य व्यवस्थाएं मेडिकल कॉलेज के ऑटोनॉमस फंड से करने के निर्देश दिए, लेकिन अस्पताल प्रबंधन इन दिनों बजट के अभाव में कंगाली से गुजर रहा है इसकी वजह से इस धर्मशाला के फर्नीचर तक नहीं खरीद पा रहा है।
डॉक्टर लिख रहे दवाएं, मजबूरी में मार्केट से खरीदनी पड़ रही
कहने को अंचल का सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन हालत खस्ता हो चुकी है, इतने बड़े अस्पताल में हर रोज करीब तीन हजार लोग उपचार लेने के लिए आते हैं और करीब डेढ़ से दो हजार मरीज हर समय भर्ती रहते हैं। अस्पताल की माली हालत इतनी खराब हो चुकी है वह मरीजों को उल्टी, दस्त से लेकर एंटीबायोटिक दवाएं सहित लीवर एवं किडनी की दवाएं तक उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। जिसकी वजह से उन मरीजों को अधिक परेशानी आ रही है जो कि वार्ड में भर्ती हैं इनके परिजन मजबूरी में बाजार से दवाएं खरीद रहे हैं। हालांकि अस्पताल के जिम्मेदार 350 से अधिक प्रकार की दवाएं होने का दवा करते हैं, लेकिन कुछ दवाएं केवल स्टॉक में दिखाने को लेकर है यह मरीजों को नहीं मिल रही है। शासन के आदेश की माने तो 450 प्रकार की दवाएं अस्पताल की ओपीडी एवं उपचार के भर्ती मरीजों को मिलनी चाहिए, लेकिन प्रबंधन इसकी व्यवस्था नहीं कर पा रहा है।