स्थानिकायों के पास शहरी विकास योजनाओं को लेकर नहीं है विशेषज्ञता
आठवें एमएन बुच स्मृति व्याख्यान में अर्बन सोशल साइंटिस्ट दुनु रॉय ने कहा
1955 में भोपाल की बसाहट में बड़े तालाब के पूर्वी हिस्से का केवल एक छोटा सा हिस्सा शामिल था फिर यह दक्षिण की ओर जाने लगा। 1974- 75 के दौरान एमएन बुच ने भोपाल की पहली विकास योजना को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। महेश बुच ने सवाल उठाया कि क्या शहर का विस्तार कृषि भूमि की कीमत पर होना चाहिए, अवधारणा यह थी कि कृषि भूमि साल-दर-साल फसल और आय देती है जबकि शहर की भूमि विकास के बाद कोई रिटर्न नहीं देती है। यह कहना था, अर्बन सोशल साइंटिस्ट दुनु रॉय का। वे आठवें महेश बुच स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन नेशनल सेंटर फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स एंड एनवायरनमेंट (एनसीएचएसई), फ्रÞेंड्स आॅफ एनवायरनमेंट और जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी के सहयोग से किया गया।
शहर उत्पादक बनेगा तभी रहने योग्य बना रहेगा
उन्होंने राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट के प्रकाशन के कई वर्षों के बाद महेश बुच द्वारा की गई समीक्षा का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने बताया कि जब तक शहर उत्पादक नहीं बन जाता, तब तक शहर लंबे समय तक रहने योग्य नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि योजनाकारों ने कभी भी इस बारे में सर्वेक्षण करने के बारे में नहीं सोचा कि पैदल या साइकिल चलाने के लिए सड़क का उपयोग करने वाले कितने लोग हैं।
वाहन पार्क करने के बाद पैदल चलना पड़ता है
उन्होंने बताया कि 74वां संविधान संशोधन स्थानीय निकाय को शहर की योजनाएं विकसित करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया गया है क्योंकि शहरी स्थानीय निकायों के पास इसकी कोई विशेषज्ञता नहीं है। कार चलाने वाले व्यक्ति को भी या तो कार तक जाकर या गंतव्य पर अपना वाहन पार्क करने के बाद पैदल चलना पड़ता है।
झुग्गी में रहने वालों को भी मिलें सुविधाएं
लेबर यूज प्लानिंग की वकालत कि क्योंकि शहर के अधिकांश हिस्से में लगभग 30 फीसदी लोग झुग्गियों में रहते हैं। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि योजना में किसी भी झुग्गी बस्ती के एक किलोमीटर के आसपास विकास पर विचार किया जाना चाहिए। यह अवधारणा इस धारणा पर आधारित है कि यह दूरी झुग्गी-झोपड़ी के निवासियों को पैदल चलकर अपने कार्यस्थल तक पहुंचने की सहूलियत देगी।