कच्छ के लिप्पन आर्ट को किया तैयार, रंगोली में उकेरी वीणा और जरी-गोटे से सजाईं पतंगें
शहर के अलग-अलग कॉलेजों में एनुअल फंक्शन की शुरुआत हो चुकी है। इसी कड़ी में सोमवार से सरोजिनी नायडू गर्ल्स कॉलेज में ‘अलंकृता’ वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ, जिसमें स्टूडेंट्स की क्रिएटिविटी देखते बनी। इस मौके पर पतंग डेकोरेशन के अंतर्गत छात्राओं ने मिरर, जरी-गोटे, मोतियों, कोलाज वर्क, पेंटिंग्स से पतंगों को खूबसूरती से सजाया। छात्र संघ प्रभारी डॉ. सीमा पाठक के मार्गदर्शन में प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। वहीं निर्णायक की भूमिका डॉ. शैलजा कामले, डॉ. रंजना त्रिवेदी एवं डॉ. अर्पणा अनिल रहीं। रंगोली प्रतियोगिता की संयोजक डॉ. शालिनी प्रधान, डॉ. वंदना शर्मा, डॉ. अनीता जैन, अर्चना बौहान, डॉ, कविता बघेल डॉ. भारती नेमा, डॉ. रूपाली दुबे रहीं। 20 फरवरी को मेहंदी प्रतियोगिता होगी।
पतंगों को मिरर व पेंटिंग्स से सजाया
लेट योअर ड्रीम फ्लाई लाइक ए काइट, एंड सी वेयर इट विल टेक यू...कुछ इस तरह के मोटिवेशन कोट्स के साथ स्टूडेंट्स पतंगों को सजाया। कलरफुल बॉर्डर बनाकर उसमें तमाम तरह के डेकोरेटिव्स मटेरियल लगाकर पतंगों को आकर्षक बनाया। 50 से अधिक पतंगों को अलग-अलग तरह से प्रस्तुत किया गया।
रंगोली में सूर्योदय और सूर्यास्त की झलक
रंगोली प्रतियोगिता में छात्राओं ने सुंदर व आकर्षक पारंपरिक एवं फ्री हैंड रंगोली बनाई। किसी ने रंगोली में मां सरस्वती की वीणा बनाई तो किसी ने मंदिर का शिखर। रंगोली में ढलते हुए दिन और सूर्योदय के नजारे भी दिखे। रंगोली में विभिन्न विषयों पर सामाजिक संदेश भी उकेरे गए।
लिप्पन आर्ट
लिप्पन कला कच्छ, गुजरात, की एक पारंपरिक भित्ति शिल्प कला है। मिट्टी और ऊंट के गोबर के मिश्रण जैसे स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके लिप्पन घरों के अंदरूनी हिस्सों को ठंडा रखती है। हालांकि इसका काम मुख्य रूप से आंतरिक दीवारों तक ही सीमित है, यह बाहरी दीवारों पर सजावट के लिए की जाती है। इसी आर्ट को छात्राओं ने लकड़ी के बोर्ड पर उकेरा, जिसमें बोर्ड को कांच व मिट्टी से सजाया गया।