प्रोफेसर की नौकरी छोड़ गरीब बच्चों को दे रही मुफ्त शिक्षा
इंदौर। व्यापार का रूप लेती शिक्षा के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो गरीब बच्चों को शिक्षा देने का प्रेरणास्पद कार्य कर रहे हैं। शहर के स्कीम नंबर 113 में प्रोफेसर डॉ. ललिता शर्मा द्वारा संचालित आभाकुंज वेलफेयर के स्कूल में 200 बच्चे पढ़ने आते हैं। इसमें कई ऐसे हैं, जो कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन पढ़ने की चाह उन्हें खींच लाई है। 8 बच्चों के साथ 2009 में शुरू हुए स्कूल का सफर अब तक कई बच्चों को आत्मनिर्भर बना चुका है। डॉ. ललिता बच्चों को कम्प्यूटर, सिलाई, आर्ट एंड क्रॉफ्ट भी सिखाती है। उन्हें इस कार्य के लिए 2016 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अवार्ड भी मिला है।
मोहित अब कर रहा इंजीनियरिंग : आईआईटी बेंगलुरू से इंजीनियरिंग करने वाले मोहित कटारे ने बताया कि जब मैं कक्षा 4 में था, तभी देखा कि गार्डन के बाहर कुछ बच्चे पढ़ रहे हैं। जिज्ञासावश मैं भी वहां गया और पढ़ना शुरू किया। शर्मा मैडम ने मेरा निजी स्कूल में दाखिला कराया। जब भी इंदौर आता हूं, बच्चों को पढ़ाता हूं।
शिक्षकों ने गरीब बच्चों के लिए बनाई स्मार्ट क्लास
इंदौर के बिजलपुर क्षेत्र के शासकीय प्रायोगिक माध्यमिक विद्यालय का नजारा आम सरकारी स्कूलों से काफी अलग है। इसके शिक्षक-शिक्षिकाओं ने गरीब परिवारों के नौनिहालों को बेहतर शिक्षा देने के लिए खुद चंदा करके स्मार्ट कक्षा तैयार की है। यहां पढ़ने वाले 300 छात्रों में से अधिकांश गरीब परिवारों से हैं। प्राथमिक शिक्षक पीयूष दुबे ने बताया कि एक बार मैं अपने लैपटॉप की मदद से बच्चों को पढ़ा रहा था। मैंने देखा कि बच्चे लैपटॉप से पढ़ने में खास रुचि ले रहे हैं। इसके बाद हम शिक्षकशिक्षिकाओं ने बच्चों के लिए स्मार्ट कक्षा तैयार करने का प्लान बनाया। सभी ने 23 हजार रुपए चंदा करके प्रोजेक्टर, चार स्पीकर का सेट खरीदा और स्मार्ट कक्षा शुरू की। शाला प्रभारी सोनाली डगांवकर ने बताया कि इससे दाखिला लेने वाले बच्चों की तादाद में इजाफा हुआ है।