मिल मजदूरों की आज अंतिम उम्मीद अन्यथा सालों लगेंगे पैसा मिलने में
इंदौर। तीस सालों के लंबे इंतजार के बाद प्रदेश सरकार ने मजदूरों को ब्याज सहित पैसा फेस्टिवल के पूर्व मिलने की आस जगाई थी, किन्तु मामला अभी तक अटका हुआ है। बुधवार को सवा घंटे बहस चली, जो कंटीन्यू यानि गुरुवार तक चलेगी। 30 नवंबर आखिरी दिन है। यदि पैसा जमा नहीं हुआ तो जमीन बिक्री सौदा रद्द हो जाएगा। फिर नए सिरे से बिक्री की बात होगी... सालों तारीख लगेगी, फिर जाकर पैसा मिलेगा।
हुकुमचंद मिल अधिकारी मजदूर संघर्ष समिति के नरेन्द्र श्रीवंश ने उक्त आरोप लगाते हुए बताया कि 12 दिसंबर, 1991 का दिन कपड़ा मिलों के इतिहास का काला अध्याय है। इस दिन से मिलें बंद हुईं। करीब 5895 लोग बेरोजगार हो गए। मजदूर परेशान हुए, वे अपना जमा पैसा प्रोविडेन्ट फंड आदि मांगने लगे। आंदोलन हुए, लेकिन मजदूरों को सिर्फ आश्वासन ही मिले।
उम्मीद जगाई अक्टूबर में
4 अक्टूबर, 2023 को कैबिनेट ने बहुमत से मजदूरों को उनका पैसा ब्याज सहित लौटाने को मंजूरी दी। तय हुआ था कपड़ा मिल की जमीन हाउसिंग बोर्ड लेगा। मामला चूंकि कोर्ट में था, तारीख लगीं। सरकारी वकील ने कार्रवाई के लिए समय मांग लिया। इसके बाद दूसरी तारीख में भी तर्क दिया गया कि चुनाव आचार संहिता के कारण पेमेन्ट नहीं कर पा रहे हैं। समय दें।
बहस सवा घंटे
बुधवार को तारीख थी। मजदूर बड़ी उम्मीद से कोर्ट पहुंचे। बहस शुरू हुई, आधे घंटे लगी, दो बार ऐसा और हुआ, लेकिन सरकार द्वारा मजदूरों के हक का पैसा हाईकोर्ट में जमा नहीं कराया गया। श्रीवंश के अनुसार आज सवा घंटे बहस, सुनवाई हुई। हाउसिंग बोर्ड के एडवोकेट ने कोर्ट में बताया कि दिल्ली से अनुमति नहीं मिली।
क्या होगा आज
श्रीवंश के अनुसार गुरुवार को सुनवाई जारी रहेगी। दिक्कत यह कि यदि दिल्ली से अनुमति नहीं मिली तो पैसा अटक जाएगा। नए तरीके से फिर जमीन की बिक्री होगी, टेंडर निकलेगा... शायद 31 सालों के बाद भी मजदूर के पैसे की रफ्तार स्लो है। वह उस तक कब पहुंचेगी, अनुमान लगाना मुश्किल है।
हुकुमचंद मिल मामले में प्रमुख सचिव मंडलोई हाईकोर्ट में तलब
हुकुमचंद मिल मजदूरों सहित अन्य लेनादारों के बकाया भुगतान मामले में आगामी 12 दिसंबर को हाउसिंग बोर्ड के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई को हाईकोर्ट में तलब किया गया है, साथ ही उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस भी जारी किया गया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने बुधवार को हुई सुनवाई के बाद उक्त निर्देश दिए। दरअसल 9 नवंबर के आदेश बाद हाउसिंग बोर्ड ने 13 दिन बाद 23 नवंबर को चुनाव आयोग को पत्र लिखा। कोर्ट ने इस पर नाराजी जताते हुए प्रमुख सचिव को तलब कर अवमानना नोटिस जारी किया, साथ ही चुनाव आयोग से भी भुगतान की अनुमति के बारे में निर्देश प्राप्त करने के निर्देश आयोग के एडवोकेट को दिए।