लक्ष्मीबाई अनाज मंडी बनी जेल, तीन घंटे बंद रहे किसान
इंदौर। नए रिंग रोड के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित कर कम मुआवजा देने के मामले में किसानों ने एकत्र होकर प्रदर्शन किया। किसानों का कहना है कि सरकार नए रिंग रोड के लिए जमीनों का अधिग्रहण कर रही है और बदले में हम किसानों को जो मुआवजा दिया जा रहा है वह बहुत कम है। बुधवार को 85 गांवों के किसान 500 ट्रैक्टरों के साथ लक्ष्मीबाई अनाज मंडी पहुंचे। यहां से वे कलेक्टर कार्यालय तक जाने वाले थे, लेकिन प्रशासन ने मंडी को ही जेल बनाकर किसानों को निकलने नहीं दिया और तीन घंटे तक वहीं रोके रखा।
भारतीय किसान संघ के इंदौर जिलाध्यक्ष कृष्णपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि किसानों ने प्रशासन को चेतावनी दी थी कि वे लक्ष्मीबाई अनाज मंडी से कलेक्टर कार्यालय तक ट्रैक्टर रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन करेंगे और कलेक्टर आशीष सिंह को ज्ञापन सौंपेंगे, लेकिन प्रशासन ने सुबह ही बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स लगा दिया और किसानों को मंडी से ही नहीं निकलने दिया। बाद में किसान कलेक्टर आशीष सिंह को मंडी में बुलाने पर अड़े रहे, लेकिन कलेक्टर भी मिलने नहीं आए।
राठौड़ ने बताया कि इंदौर में बनने वाले नए रिंग रोड के लिए प्रशासन 85 से अधिक गांवों की कृषि भूमि अधिग्रहित कर रहा है। इसके बदले में सरकार किसानों को जो मुआवजा दे रही है, वह भूमि के वर्तमान मूल्य से बेहद कम है। सरकार भले ही गाइडलाइन से दोगुना पैसा दे रही हो, लेकिन इन सभी गांव में गाइडलाइन वर्तमान मूल्य से बेहद कम है इसलिए एक भी किसान अपनी एक इंच भी कृषि भूमि सरकार को नहीं देगा। किसानों के विरोध प्रदर्शन की सूचना पर बड़ी संख्या में पुलिस बल अनाज मंडी में तैनात कर दिया गया था। एडीएम रोशन राय के साथ प्रशासनिक अमला भी मौजूद रहा। नाराज किसानों ने बिना ज्ञापन दिए मंडी में ही सभा आयोजित की।
1 मार्च के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल
मंडी को ही जेल बनाकर किसानों को तीन घंटे तक मंडी में बंद कर दिया गया। कलेक्टर भी नहीं पहुंचे। इससे किसानों में काफी नाराजगी है। इसके विरोध में 1 मार्च के बाद अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल की जाएगी। ट्रैक्टर रैली के लिए इंदौर सहित आसपास के गांव के अलावा कई अन्य जिलों के किसान भी पहुंचे। इसमें सांवेर, देवास, उज्जैन, देपालपुर, हातोद, कनाड़िया और महू के किसान भी शामिल हुए।
गैर उपजाऊ जमीन पर रोड की प्लानिंग करे सरकार
किसानों ने बताया कि हम अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं। यदि किसानों की उपजाऊ जमीन इसी तरह निर्माण कार्यों में ली गई तो आने वाले समय में खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो जाएगा। विकास का विरोध किसान कभी नहीं करते। हम केवल इतना चाहते हैं कि जो जमीन हमारी मातृभूमि और रक्षक है, उस पर सड़क निर्माण के बजाय सरकार के पास कई हेक्टेयर जमीन गैर उपजाऊ है, वहां उसका निर्मा किया जाए। हम अपनी बात कलेक्टर के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने आए थे, लेकिन हमें उन तक पहुंचने नहीं दिया गया, जो निंदनीय है।