कांग्रेस में एकजुटता की कमी, चाटुकारिता चरम पर : आजाद
नई दिल्ली। कांग्रेस से बगावत कर अलग सियासी राह पर चलने वाले गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में राजनीति के कई ऐसे चैप्टर से पर्दा उठाया है, जिससे विवाद खड़ा हो सकता है। गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा आजाद। बुधवार को दिल्ली में रिलीज हो रही है। अपनी आत्मकथा में गुलाम नबी आजाद ने लिखा है कि जब गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आर्टिकल 370 को हटाने की घोषणा की और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का निर्णय सुनाया तो विपक्ष के नेता धरने पर बैठे लेकिन इस प्रदर्शन में जयराम रमेश शामिल नहीं हुए। तब जयराम रमेश राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप थे। आजाद की आत्मकथा मोटे तौर पर हर उस चीज के सभी पहलू पर चर्चा करती दिख जाती है जो कांग्रेस के साथ गलत हुई है। किताब में लिखा है कि कांग्रेस के पतन का मूल कारण यह है कि यह राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अपने ही काबिल नेतृत्व के खिलाफ समानांतर, अक्षम नेतृत्व खड़ा करके उसे नष्ट कर देता है, इस प्रकार इस प्रक्रिया में पार्टी को ऊपर से नीचे तक खत्म कर दिया जाता है। एक अंतराल से चाटुकारिता ने पार्टी में एक केंद्रीय स्थान ले लिया है।
पीएम मोदी ने बदले की भावना से नहीं किया काम
आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी उनके साथ बदले की भावना से काम नहीं किया। संसद में नेता विपक्ष रहने के दौरान वह भाजपा के विरोध में कई मुद्दों पर मुखर रहे, लेकिन पीएम मोदी ने फिर भी उनके साथ राजनेता के जैसे ही व्यवहार किया। मैंने उनके साथ जो किया उसके लिए मुझे मोदी को श्रेय देना चाहिए। वह बहुत उदार हैं। नेता विपक्ष के रूप में मैंने उन्हें किसी भी मुद्दे पर नहीं बख्शा चाहें वह धारा 370 हो या सीएए या हिजाब का मामला। लेकिन उन्होंने एक राजनेता की तरह व्यवहार किया, उसका बदला नहीं लिया।