आंगनबाड़ियों में प्री स्कूल किट, खेल सामग्री की कमी, गोद लेने के बाद स्थिति जस की तस

आंगनबाड़ियों में प्री स्कूल किट, खेल सामग्री की कमी, गोद लेने के बाद स्थिति जस की तस

जबलपुर। आंगनबाड़ी के बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा देने की योजना जिले में फ्लॉप होती नजर आ रही है। दरअसल, नई शिक्षा नीति के तहत एक अप्रैल 2023 से प्रदेश की 97 हजार 135 आंगनबाड़ी केंद्रों में प्री प्राइमरी कक्षाएं संचालित होंगी। लेकिन मार्च का पखवाड़ा बीतने के बाद भी अभी तक न तो विभाग की तरफ से कोई आदेश जारी हुआ है, न ही प्री स्कूल की किट केंद्रों में पहुंची है। आलम यह है कि इन दिनों केंद्रों में दरी चटाई, खेल सामग्री की कमी भी जस की तस बनी हुई है। केंद्र कार्यकतार्ओं का कहना है कि आंगनबाड़ी को गोद लेने के बाद अब वही जिम्मेदार स्थिति का जायजा लेने भी नहीं आते हैं।

गौरतलब है कि महिला बाल विकास विभाग द्वारा नौनिहालों के पढ़ने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूलों में परिवर्तित किया जाना है। हालांकि विभाग अधिकारियों का कहना है कि तैयारियां अंतिम दौर में चल रही है। जिले में 2483 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। लेकिन इसमें 40 फीसदी आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। ज्ञात हो कि अब नौनिहालों को पहले आंगनबाड़ी केंद्रों में प्री प्राइमरी की शिक्षा दी जाएगी। उसके बाद वे निकट के प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक में दाखिला पाएंगे। कक्षाएं आंगनबाड़ी केंद्रों पर नए शैक्षिक सत्र अप्रैल माह में प्रारंभ होगी। पहले चरण में उन केंद्रों पर कक्षाएं शुरू की जाएंगी, जो केंद्र प्राइमरी स्कूलों के प्रांगण में संचालित हो रहे हैं।

कार्टून और खेल से पढ़ेंगे बच्चे

प्री प्राइमरी में तीन से छह वर्ष तक के बच्चे पढ़ेंगे। उन्हें चित्र, कार्टून, कठपुतली के अलावा खेल-खेल में पढ़ाया जाएगा। सूत्रों की माने तो एक केंद्र की मरम्मत और पुताई कराने के लिए विभाग द्वारा तीन हजार रुपए की राशि दी जाती है। जो मरम्मत में ही खर्च हो जाता है। ऐसे में केंद्र की दीवारों पर कार्टून बनाने के लिए बजट नहीं मिल पाता है।

आंगनबाड़ी केंद्र सुनवानी

मझौली ब्लॉक के सुनवानी गांव के अंदर बने आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों की दर्ज संख्या करीब 50 है, लेकिन केंद्र में एक बच्चा भी मौजूद नहीं था। 100 वर्गफीट के कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित तो होता है, लेकिन यहां बिजली की व्यवस्था नहीं थी और न ही बच्चों के खेलने के लिए खिलौने व बैठने के लिए दरी। कार्यकर्ता किरण राजपूत का कहना था कि बच्चे गर्मी के कारण आते नहीं हैं।

बच्चे तोड़ देते हैं खिलौने

आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 15 की स्थिति की बात करें तो बहुत ही खराब है। यहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को खिलौने खेलने के लिए इसलिए नहीं देती है कि बच्चे उसे तोड़ देंगे। कार्यकर्ता का कहना है विभाग की तरफ से कुछ ही खिलौने साल में मिलते हैं, इसलिए संभाल कर रखना होता है।

आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री स्कूल में परिवर्तित करने के संबंध में न तो कोई निर्देश मिला है और न ही प्री स्कूल किट आई है। हां कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों में खिलौने, दरी चटाई आदि की कमी है जिसे जन सहयोग के माध्यम से पूर्ति की जा रही है। एमएल मेहरा, जिला परियोजना अधिकारी