नारी आत्मनिर्भरता के पक्षधर थे कुंवर लक्ष्मीचंद
जबलपुर। शिक्षा, पारिवारिक और सामाजिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आयाम है और इसमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका नारी शिक्षा की है। शिक्षा द्वारा नारी सशक्त और आत्मनिर्भर बनकर अपने व्यक्तित्व का समुचित विकास कर सकती है। आजादी के बाद संस्कारधानी के गौरव कुंवर लक्ष्मीचंद ने इस बात को समझा और महिला शिक्षा के पक्ष में सामाजिक माहौल बनाकर शहर के पहले बीएड कॉलेज की स्थापना की आधारशिला रखी। नारी की नींव नारी शिक्षा ही है। उक्त बातें हितकारिणी वुमेन्स कॉलेज ऑफ एजुकेशन में कुंवर लक्ष्मीचंद स्मृति दिवस के अवसर पर अतिथियों ने कही।
मुख्य अतिथि अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा डॉ. संतोष जाटव ने कहा कि महिला शक्ति चुनौतियों के साथ ही समाधान भी लाती है। पुरातन काल से समाज के विकास में महिलाओं का योगदान अतुलनीय है। हितकारिणी सभा की उप सभापति सुनयना पटेरिया ने कहा कि शिक्षक में मां जैसे संपूर्ण समर्पण के भाव होने चाहिए। सभा के संयुक्त सचिव मुकुल खंपरिया ने नारी शिक्षा के प्रति कुंवर लक्ष्मी चंद की दूरगामी सोच को साझा किया। उन्होंने कहा कि नारी शिक्षा के लिए महाकौशल में सबसे पहले पहल स्व रत्नाकुमारी और कुंवर जी ने किया, जिसका परिणाम यह महाविद्यालय हमारे सामने है।
ये हुए सम्मानित
इस अवसर पर अमिशा सक्सेना, आयुषी अग्रवाल, पूर्वा शर्मा, सुरभि फौजदार, रेनुका परस्ते, योगिता पाटीदार, देशना जैन, दीपिका भाले, प्रतिभा केवट, विभूति शुक्ला तिवारी, अंशुल नायक, स्मिता द्विवेदी, शुभि जैन को सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान महाविद्यालय की डॉ. अलका श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक शिक्षण और शालेय संस्कृति का विमोचन किया गया।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर हितकारिणी सभा की उपसभापति सुनयना पटेरिया, संयुक्त सचिव मुकुल खंपरिया, प्राचार्य डॉ. सुलक्षणा त्रिपाठी, उप प्राचार्य डॉ. तृप्ति श्रीवास्तव, डॉ. निरूपमा पाठक, डॉ. अलका श्रीवास्तव, वर्षा दुबे, डॉ. रश्मि शुक्ला, जया सामदेकर, डॉ. निधि माथुर, नितिन साहू, संतोष ठाकुर शाष्वत गुप्ता, प्रेमलता चौबे, विजय दहायत, सुधा चौधरी उपस्थित रहे।