स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कहां क्या हो रहा जानना आम नागरिकों की पहुंच से बाहर

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कहां क्या हो रहा जानना आम नागरिकों की पहुंच से बाहर

जबलपुर। स्मार्ट सिटी द्वारा संचालित प्रोजेक्ट के विषय में जानना आम नागरिकों की पहुंच के बाहर है। ये दावा खुद स्मार्ट सिटी ने ही 3 साल पूर्व किया था कि वह ऐसी वेबसाइट बनाएगी जिसमें उसके द्वारा किए गए हर प्रोजेक्ट की सभी तरह की जानकारी आम नागरिकों को दी जाएगी। फिलहाल यह जानकारी केवल स्मार्ट सिटी ऑफिस की अपनी वेबसाइट पर ही उपलब्ध है।

सिटी वाइज इंटीग्रेटेड डैश बोर्ड के माध्यम से स्मार्ट सिटी ने शहरवासियों को स्मार्ट सुविधा का अहसास दिलाने का दावा किया था। इसके अंतर्गत वार्ड की सीमा,परिवहन, जल निकाय,पेड़, स्ट्रीट लाइट के खंबे, होर्डिंग्स,सीवर नेटवर्क,जल नेटवर्क, सार्वजनिक शौचालय आदि की सुविधाओं से सुसज्जित स्थान का काम करना था। शहर में नई संपत्तियों के पंजीयन से लेकर उस संपत्ति के उपयोगकर्ता व नियंत्रक की पूरी जानकारी मोबाइल व टैब की स्क्रीन पर दिखाने का दावा किया गया था,लेकिन आज तक स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार यह नहीं बता पाए कि शहर के किस कोने में कौन से प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है और उस प्रोजेक्ट से उस क्षेत्र के रहवासियों को क्या सुविधा मिलने वाली है। यानि यह प्रोजेक्ट केवल स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर शोभा बढ़ा रहा है और उसी में संचालित दिख रहा है। आम आदमी तक इस प्रोजेक्ट की पहुंच कहीं दिखाई ही नहीं देती,क्योंकि प्रस्तावित कार्य क्षेत्र के अनुसार स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर अमल ही नहीं हो रहा है।

ये था उद्देश्य

इस प्रोजेक्ट के पीछे का उद्देश्य यही था कि लोगों को ई-गवर्नेंस,सेंट्रल इंटीग्रेटेड ऑपरेशन सेंटर,एक यूटिलिटी बिल्डिंग,डेटा सेंटर,सिटी वाइड नेटवर्क और सिटी डेशबोर्ड जैसी उक्त सुविधाओं से लोग अवगत रहें। जिससे कि भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे में परिवर्तन की लहर दौड़े। इसके अलावा स्मार्ट सिटी सुविधाओं और स्मार्ट सड़कों,प्रौद्योगिकी समर्थित यातायात प्रबंधन प्रणाली, स्मार्ट स्ट्रीट लाइटिंग, घरों के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी,जलप्रबंधन प्रणाली आदि जैसी प्रीमियम नागरिक सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं इसके लिए प्रत्येक नागरिक को जानकारी हो। यदि इन सुविधाओं से नागरिक वंचित हैं तो शिकायत का सरल तरीका भी बताया जाना था।

क्या-क्या करना था

  • सर्वाधिक जोर इकॉनॉमिक गतिविधियां को बढ़ाने पर देना था। 
  • प्रस्तावित जोनल प्लान में प्रस्ताव के अनुसार एफएआर में छूट प्रदान की जानी थी। 
  • सोलर आधारित बिजली के लिए ग्रीन बिल्डिंग बनाने की तैयारी थी। 
  • रीडेवलपमेंट के लिए विकास का खाका जोनल प्लान में तैयार किया जाना था। 
  • सड़कों की मौजूदा चौड़ाई घटाने या बढ़ाने,नालियां व सीवरेज आदि का निर्माण करना था। 
  • तीन पत्ती बस स्टैंड को सिटी ट्रांसपोर्ट के तौर पर विकसित किया जाना था। जिसमें नीचे सिटी ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था और ऊपरी हिस्से में मल्टीलेवल बिल्डिंग में व्यवसायिक गतिविधियों के साथ सरकारी कार्यालय बनने थे। 
  • ननि परिसर का कायाकल्प होना था,पीपीपी मॉडल पर मल्टीलेवल कॉम्प्लेक्स का निर्माण होना था जिसमें नगर निगम का कार्यालय होना था। 
  • गोलबाजार को रोजगार के हब के रूप में विकसित किया जाना था। गारमेंट क्लस्टर से लेकर अन्य गतिविधियां बढ़ाई जानी थीं।

पूर्व के अधिकतर प्रोजेक्ट्स पीपीपी मोड पर प्रस्तावित थे मगर निवेशक न मिलने से इन पर काम नहीं हो पाया। उपलब्ध राशि से जारी प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं। -रवि राव,प्रशासनिक अधिकारी,स्मार्ट सिटी